Pca act 1988 धारा २९क : नियम बनाने की शक्ति :

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
धारा २९क :
१.(नियम बनाने की शक्ति :
१) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को क्रियान्वित करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी ।
२) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा अर्थात् :-
(a)क) ऐसे मार्गदर्शक सिद्धांत, जो धारा ९ के अधीन वाणिज्यिक संगठन द्वारा बनाए जा सकते है;
(b)ख) धारा १९ की उपधारा (१) के अधीन अभियोजन की मंजूरी के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत;
(c)ग) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाना अपेक्षित है या विहित किया जाए ।
३) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रुप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निप्रभाव हो जाएगा । किन्तु उस नियम के ऐसे परिवर्तित या निप्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा ।)
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१. सन २०१८ का अधिनियम क्रमांक १६ की धारा १८ द्वारा धारा २९ के पश्चात अंत:स्थापित ।

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