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Passports act धारा २४ : नियम बनाने की शक्ति :

पासपोर्ट अधिनियम १९६७
धारा २४ :
नियम बनाने की शक्ति :
(१) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी।
(२) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी विषयों के लिए या उनमें से किसी के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात :-
(a)(क) पासपोर्ट प्राधिकारियों की नियुक्ति, अधिकारी, नियंत्रण और कृत्य ;
(b)(ख) व्यक्तियों के वे वर्ग जिन्हें क्रमश: धारा ४ की उपधारा (१) और उपधारा (२) में निर्दिष्ट पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावेज जारी की जा सकेगी ;
(c)(ग) पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने या नवीकृत करने अथवा पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर पृष्ठांकन करने के लिए आवेदन का प्ररूप और विशिष्टियां और जहां आवेदन नवीकरण के लिए हो वहां वह समय जिसके भीतर वह आवेदन किया जाएगा;
(d)(घ) व कालावधि जिसके लिए पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावेजों प्रवृत्त बनी रहेंगी;
(e)(ङ) वह प्ररूप जिसमें और वे शर्ते जिनके अध्यधीन विभिन्न वर्गों के पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावेजें जारी या नवीकृत की जा सकेंगी, या उनमें फेरफार किया जा सकेगा;
(ee)१.(ङङ) धारा ५ की उपधारा (१) के स्पष्टीकरण के प्रयोजनों के लिए विदेश विनिर्दिष्ट करना;)
(f)(च) २.(धारा ५ की उपधारा (१) के अधीन पासपोर्ट जारी करने या धारा ५ की उपधारा (१क) में निर्दिष्ट विदेश का परिदर्शन करने के लिए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने या पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर किए गए किसी पृष्ठांकन में फेरफार करने या उस पर नया पृष्ठांकन करने के किसी आवेदन की बाबत) देय फीसें और इस अधिनियम के अधीन किसी अपील की बाबत देय फीसें ;
(g)(छ) धारा ११ की उपधारा (१) के अधीन अपील प्राधिकारियों की नियुक्ति और ऐसे प्राधिकारियों की अधिकारिता और वह प्रक्रिया जिसका उनके द्वारा अनुसरण किया जाए;
(h)(ज) वे सेवाएं (जिनके अन्तर्गत ऐसे पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के बदले में, जो खो गई हैं, क्षतिग्रस्त हो गई हैं, या नष्ट हो गई हैं. पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज की दूसरी प्रति का जारी किया जाना भी है) जो पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के संबंध में की जा सकेंगी और उनके लिए फीसें ;
(i)(झ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना है या विहित किया जाए अथवा जिसकी बाबत यह अधिनियम कोई उपबंध नहीं करता है या अपर्याप्त उपबंध करता है और ऐसे उपबन्ध का किया जाना इस अधिनियम को उचित रूप से कार्यान्वित करने के लिए केन्द्रीय सरकार की राय में आवश्यक हो।
३.(३) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।)
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१.१९७८ के अधिनियम सं० ३१ की धारा ६ द्वारा (१८-८-१९७८ से) अन्त:स्थापित ।
२.१९९३ के अधिनियम सं० ३५ की धारा ९ द्वारा (१-७-१९९३ से) कुछ शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३.१९७८ के अधिनियम म० ३१ की धारा ६ द्वारा (१८-८-१९७८ से) उपधारा (३) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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