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Passports act धारा १२ : अपराध और शास्तियां :

पासपोर्ट अधिनियम १९६७
धारा १२ :
अपराध और शास्तियां :
(१) जो कोई-
(a)(क) धारा ३ के उपबंधों का उल्लंघन करेगा; अथवा
(b)(ख) इस अधिनियम के अधीन कोई पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज अभिप्राप्त करने की दृष्टि से, जानते हुए, कोई मिथ्या जानकारी देगा या कोई तात्विक जानकारी दबाएगा या किसी पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज में की गई प्रविष्टियों में विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना कोई परिवर्तन करेगा या परिवर्तन करने का प्रयत्न करेगा या परिवर्तन कराएगा; अथवा
(c)(ग) अपना पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज (चाहे उसे इस अधिनियम के अधीन जारी किया गया हो या नहीं) निरीक्षण के लिए पेश करने में, जब विहित प्राधिकारी उससे ऐसा करने की अपेक्षा करे, असफल रहेगा; अथवा
(d)(घ) किसी अन्य व्यक्ति को जारी किए गए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को जानते हुए उपयोग में लाएगा; अथवा
(e)(ङ) अपने को जारी किए गए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का उपयोग, जानते हुए, किसी दूसरे व्यक्ति को करने देगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि १.(दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा,) या दोनों से दण्डनीय होगा।
(1-A)२.(१क) जो कोई, जो भारत का नागरिक नहीं है,-
(a)(क) अपनी राष्ट्रीयता के बारे में कोई जानकारी दबाकर किसी पासपोर्ट के लिए आवेदन करेगा या उसे अभिप्राप्त करेगा, या
(b)(ख) कोई कूटरचित पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज धारण करेगा।
वह कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्मान से जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा।)
(२) जो कोई १.(उपधारा (१) या उपधारा (१ क)) के अधीन दण्डनीय किसी अपराध का दुष्प्रेरण करेगा वह, यदि दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप कर दिया जाए तो, उस उपधारा में उस अपराध के लिए उपबंधित दण्ड से दण्डनीय होगा।
(३) जो कोई पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज की किसी शर्त का या इस अधिनियम के या तद्धीन बनाए गए किसी नियम के किसी उपबंध का कोई ऐसा उल्लंघन करेगा जिसके लिए इस अधिनियम में अन्यत्र कोई दण्ड उपबंधित नहीं है, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्मान से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा।
(४) जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराया जाकर इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए पुन: सिद्धदोष ठहराया जाएगा वह पश्चातकथित अपराध के लिए उपबंधित शास्ति की दुगुनी शास्ति से दण्डनीय होगा।
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१.१९९३ के अधिनियम सं० ३५ की धारा ६ द्वारा (१-७-१९९३ से) कुछ शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.१९९३ के अधिनियम सं० ३५ की धारा ६ द्वारा (१-७-१९९३ से) अंत:स्थापित।

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