पासपोर्ट अधिनियम १९६७
धारा ५ :
पासपोर्ट, यात्रा-दस्तावेजों आदि के लिए आवेदन और उन पर आदेश :
१.(१) ऐसे विदेश या विदेशों के (जो नामित विदेश नहीं हैं), जो आवेदन में विनिर्दिष्ट किए जाएं, परिदर्शन के लिए इस अधिनियम के अधीन के अधीन पासपोर्ट जारी करने के लिए आवेदन पासपोर्ट प्राधिकारी को किया जा सकेगा और उसके साथ २.(ऐसी फीस दी जाएगी जो पासपोर्ट और अन्य यात्रा-दस्तावेजों को जारी करने में विशेष सुरक्षा कागज, मुद्रण पटलन और अन्य संबंधित प्रकीर्ण सेवाओं पर उपगत व्यय की पूर्ति के लिए, विहित की जाए।)
स्पष्टीकरण :
इस धारा में, नामित विदेश से ऐसा विदेश अभिप्रेत है, जो केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे।
(1-A)(१क) कोई आवेदन, जो –
(एक) नामित विदेश के परिदर्शन के लिए इस अधिनियम के अधीन पासपोर्ट जारी करने के लिए हो ; या
(दो) ऐसे विदेश या विदेशों के (जिनके अन्तर्गत नामित विदेश भी है) जो आवेदन में विनिर्दिष्ट किए जाएं या इस धारा में निर्दिष्ट पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर पृष्ठांकन के लिए इस अधिनियम के अधीन, यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए हो,
पासपोर्ट प्राधिकारी को किया जा सकेगा और उसके साथ पचास रुपए से अनधिक उतनी फीस (यदि कोई हो) होगी, जो विहित की जाए।
(1-B)(१ख) इस धारा के अधीन प्रत्येक आवेदन ऐसे प्ररूप में होगा और उसमें ऐसी विशिष्टियां होंगी, जो विहित की जाएं। )
(२) ३.(इस धारा के अधीन) आवेदन की प्राप्ति पर, पासपोर्ट प्राधिकारी, ऐसी जांच, यदि कोई हो, जिसे वह आवश्यक समझे, करने के पश्चात, इस अधिनियम के अन्य उपवन्धों के अध्यधीन रहते हुए, लिखित आदेश द्वारा, –
(a)(क) आवेदन में विनिर्दिष्ट विदेश या विदेशों की बाबत, यथास्थिति, पृष्ठांकन सहित पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करेगा या, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर पृष्ठांकन करेगा; अथवा
(b)(ख) आवेदन में विनिर्दिष्ट एक या अधिक विदेशों की बाबत, यथास्थिति, पृष्ठांकन सहित पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करेगा या, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर पृष्ठांकन करेगा और अन्य विदेश या विदेशों की बाबत पृष्ठांकन करने से इन्कार करेगा; अथवा
(c)(ग) यथास्थिति, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने से या, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर कोई पृष्ठांकन करने से इन्कार करेगा। (३) जहां पासपोर्ट प्राधिकारी किसी व्यक्ति के आवेदन पर उपधारा (२) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के अधीन कोई आदेश करे वहां वह ऐसा आदेश करने के अपने कारणों का संक्षिप्त कथन लेखबद्ध करेगा और मांगे जाने पर उस व्यक्ति को उसकी एक प्रति तब के सिवाय देगा जब किसी मामले में पासपोर्ट प्राधिकारी की यह राय हो कि ऐसी प्रति देना भारत की प्रभुता और अखण्डता, भारत की सुरक्षा या किसी विदेश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के हित में या जन-साधारण के हित में न होगा।
———
१.१९७८ के अधिनियम सं ३१ की धारा २ द्वारा (१८-८-१९७८ से) उपधारा (१) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.१९९३ के अधिनियम सं० ३५ की धारा २ द्वारा (१-७-१९९३ से) पचास रुपए की फीस दी जाएगी के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३.१९७८ के अधिनियम सं ३१ की धारा २ द्वारा (१८-८-१९७८ से) अन्त:स्थापित ।