Passports act धारा १० : पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावेजों में फेरफार, उनका परिबद्ध किया जाना और प्रतिसंहरण :

पासपोर्ट अधिनियम १९६७
धारा १० :
पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावेजों में फेरफार, उनका परिबद्ध किया जाना और प्रतिसंहरण :
(१) पासपोर्ट प्राधिकारी, धारा ६ की उपधारा (१) के उपबंधों को या धारा १९ के अधीन की किसी अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज में किए गए पृष्ठांकनों में फेरफार कर सकेगा या उन्हें रद्द कर सकेगा या केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से (विहित शर्तों से भिन्न) उन शर्तों में, जिनके अध्यधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी की गई हो, फेरफार कर सकेगा या उन्हें रद्द कर सकेगा, और उस प्रयोजन के लिए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक से लिखित सूचना द्वारा अपेक्षा कर सकेगा कि वह उसे पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज ऐसे समय के भीतर समर्पित कर दे जो सूचना में विनिर्दिष्ट हो और धारक ऐसी सूचना का अनुपालन करेगा।
(२) पासपोर्ट प्राधिकारी, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक के आवेदन पर, और केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज की (विहित शर्तों से भिन्न) शर्तों में फेरफार, या उन शर्तों को रद्द भी, कर सकेगा।
(३) पासपोर्ट प्राधिकारी, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को परिबद्ध कर सकेगा या परिबद्ध करा सकेगा या प्रतिसंहत कर सकेगा, –
(a)(क) यदि पासपोर्ट प्राधिकारी का समाधान हो जाए कि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का धारक उसे सदोष कब्जे में रखे हुए है।
(b)(ख) यदि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज तात्विक जानकारी को दबाकर अथवा पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक द्वारा अथवा उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई गलत जानकारी के आधार पर अभिप्राप्त किया गया था:
१.(परन्तु यदि ऐसे पासपोर्ट का धारक कोई अन्य पासपोर्ट अभिप्राप्त कर लेता है तो पासपोर्ट प्राधिकारी ऐसे अन्य पासपोर्ट को भी परिबद्ध करेगा या परिबद्ध कराएगा या प्रतिसंहृत करेगा।)
(c)(ग) यदि पासपोर्ट प्राधिकारी ऐसा करना भारत की प्रभुता और अखण्डता, भारत की सुरक्षा या किसी विदेश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के हित में या जनसाधारण के हित में आवश्यक समझे;
(d)(घ) यदि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने के पश्चात किसी भी समय पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का धारक भारत में के किसी न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता अंतर्वलित करने वाले किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया गया हो और उसकी बाबत दो वर्ष से अन्यून के कारावास से दण्डदिष्ट किया गया हो;
(e)(ङ) यदि किसी ऐसे अपराध की बाबत, जिसका पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक द्वारा किया जाना अभिकथित हो, कार्यवाहियां भारत में किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष लम्बित हों;
(f)(च) यदि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज की शर्तों में से किसी का उल्लंघन किया गया हो;
(g)(छ) यदि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का धारक उपधारा (१) के अधीन की उस सूचना का अनुपालन करने में असफल रहा हो जिसमें उससे वह पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज समर्पित करने की अपेक्षा की गई हो;
(h)(ज) यदि पासपोर्ट प्राधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया हो कि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक की हाजिरी के लिए कोई वारण्ट या समन, या उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारण्ट, किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन किसी न्यायालय द्वारा जारी किया गया है या यदि पासपोर्ट या अन्य यात्रा-दस्तावेज के धारक का भारत से प्रस्थान प्रतिषिद्ध करने का कोई आदेश ऐसे किसी न्यायालय द्वारा किया गया हो और पासपोर्ट प्राधिकारी का समाधान हो गया हो कि वारण्ट या समन इस प्रकार जारी किया गया है या कोई आदेश इस प्रकार किया गया है।
(४) पासपोर्ट प्राधिकारी पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को उसके धारक के आवेदन पर भी प्रतिसंहृत कर सकेगा।
(५) जहां पासपोर्ट प्राधिकारी उपधारा (१) के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज़ पर के पृष्ठांकनों में फेरफार करने या उन्हें रद्द करने या उसकी शर्तों में फेरफार करने का कोई आदेश या पासपोर्ट को उपधारा (३) के अधीन परिबद्ध करने या प्रतिसंहृत करने का कोई आदेश करे वहां वह ऐसा आदेश करने के कारणों का संक्षिप्त कथन लेखबद्ध करेगा और मांगे जाने पर पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक को, उसकी एक प्रति तब के सिवाय देगा जब किसी मामले में पासपोर्ट प्राधिकारी की यह राय हो कि ऐसी प्रति देना भारत की प्रभुता और अखण्डता, भारत की सुरक्षा या किसी विदेश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के हित में या जनसाधारण के हित में न होगा।
(६) वह प्राधिकारी, जिसके अधीनस्थ पासपोर्ट प्राधिकारी हो, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को किसी भी ऐसे आधार पर, जिस पर उसे पासपोर्ट प्राधिकारी द्वारा परिबद्ध या प्रतिसंहृत किया जा सकता है, लिखित आदेश द्वारा परिबद्ध कर या करा सकेगा या प्रतिसंहृत कर सकेगा और ऐसे प्राधिकारी द्वारा पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज परिबद्ध या प्रतिसंहृत किए जाने के सम्बन्ध में इस अधिनियम के पूर्वगामी उपबन्ध यावत्शक्य लागू होंगे।
(७) पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक को इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराने वाला न्यायालय उस पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को प्रतिसंहृत भी कर सकेगा :
परंतु यदि अपील पर या अन्यथा वह दोषसिद्धि अपास्त की जाए तो वह प्रतिसंहरण शून्य हो जाएगा।
(८) उपधारा (७) के अधीन प्रतिसंहरण का आदेश अपील न्यायालय द्वारा, या उच्च न्यायालय द्वारा भी पुनरीक्षण की शक्तियों के प्रयोग में किया जा सकेगा।
(९) इस धारा के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के प्रतिसंहरण पर उसका धारक उस पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को, यदि उसे पहले ही परिबद्ध न कर लिया गया हो तो, अविलम्ब उस प्राधिकारी को, जिसके द्वारा उसे प्रतिसंहृत किया गया हो, या ऐसे अन्य प्राधिकारी को, जिसे प्रतिसंहरण के आदेश में इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया गया हो, अभ्यर्पित करेगा।
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१. १९९३ के अधिनियम सं० ३५ की धारा४ द्वारा (१-७-१९७३ मे) अंत:स्थापित।

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