पासपोर्ट अधिनियम १९६७
धारा १०क :
१.(पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेजों का कतिपय दशाओं में निलंबन :
(१) धारा १० में अंतर्विष्ट उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि केन्द्रीय सरकार या किसी अभिहित अधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि धारा १० की उपधारा (३) के खंड (ग) के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को परिबद्ध किए जाने या परिबद्ध कराए जाने या प्रतिसंहृत किए जाने की संभावना है और ऐसा करना लोक हित में आवश्यक है तो वह चार सप्ताह से अनधिक की अवधि के लिए, –
(a)(क) आदेश द्वारा, किसी पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को तुरन्त प्रभावी रूप से निलंबित कर सकेगी या कर सकेगा;
(b)(ख) ऐसा अन्य समुचित आदेश पारित कर सकेगी या कर सकेगा जिसके प्रभाव से कोई पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज अविधिमान्य हो जाएगा:
परन्तु केन्द्रीय सरकार या अभिहित अधिकारी, यदि वह समुचित समझे तो आदेश द्वारा और उन कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे, चार सप्ताह की उक्त अवधि को धारा १० के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज में फेरफार या उसके परिबद्धकरण या प्रतिसंहरण से संबंधित कार्यवाहियों के समाप्त होने तक बढ़ा सकेगी या सकेगा:
परन्तु यह और कि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के ऐसे प्रत्येक धारक को, जिसकी बाबत इस उपधारा के खंड (क) या खंड (ख) के अधीन कोई आदेश पारित किया गया था, ऐसे आदेश के पारित किए जाने की तारीख से संगणित आठ सप्ताह से अपश्चात की अवधि के भीतर सुने जाने का अवसर दिया जाएगा और तब केन्द्रीय सरकार, यदि आवश्यक हो तो लिखित आदेश द्वारा, इस उपधारा के अधीन पारित आदेश को उपांतरित या प्रतिसंहृत कर सकेगी।
(२) अभिहित अधिकारी, उपधारा (१) के अधीन पारित आदेशों की, किसी विमान पत्तन पर या पोतारोहण या आप्रवास के किसी अन्य स्थान पर, संबद्ध प्राधिकारी को और पासपोर्ट प्राधिकारी को तुरन्त संसूचना देगा।
(३) उपधारा (२) में निर्दिष्ट प्रत्येक प्राधिकारी, उपधारा (१) के अधीन पारित किए गए आदेश के प्राप्त होते ही ऐसे आदेश को तुरन्त प्रभावी करेगा।)
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१. २००२ के अधिनियम सं० १७ की धारा २ द्वारा (२३-१०-२००१ से) अंत:स्थापित ।