राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८०
धारा १७ :
अधिनियम का राज्य विधियों के अधीन निरुद्ध व्यक्तियों के संबंध में प्रभावी न होना :
(१) इस अधिनियम की कोई बात, किसी राज्य विधि के अधीन किए गए ऐसे निरोध-आदेशों के संबंध में, जो राष्ट्रीय सुरक्षा अध्यादेश, १९८० (१९८० का ११) के प्रारम्भ के ठीक पूर्व प्रवृत्त हैं, लागू या किसी प्रकार प्रभावी नहीं होगी और तदनुसार ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जिसके संबंध में किसी राज्य विधि के अधीन किया गया कोई निरोध-आदेश, ऐसे प्रारम्भ के ठीक पूर्व प्रवृत्त है, ऐसे निरोध के संबंध में ऐसी राज्य विधि के उपबन्धों द्वारा या जहां जिस राज्य विधि के अधीन ऐसा निरोध-आदेश किया गया है, वह उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित कोई अध्यादेश है (जिसे इसमें इसके पश्चात राज्य अध्यादेश कहा गया है) और ऐसे राज्य अध्यादेश का स्थान,-
(एक) ऐसे प्रारम्भ के पूर्व, उस राज्य के विधान-मण्डल द्वारा पारित किसी अधिनियमिति ने ले लिया है, वहां ऐसी अधिनियमिति द्वारा, या
(दो) ऐसे प्रारम्भ के पश्चात, उस राज्य के विधान-मण्डल द्वारा पारित किसी ऐसी अधिनियमिति ने ले लिया है जिसका लागू होना से राज्य अध्यादेश के अधीन ऐसे प्रारम्भ के पूर्व किए गए निरोध-आदेशों तक सीमित है, वहां ऐसी अधिनियमिति द्वारा,
उसी प्रकार शासित होगा मानो यह अधिनियम अधिनियमित ही न किया गया हो।
(२) इस धारा की किसी बात के बारे में यह नहीं समझा जाएगा कि वह उपधारा (१) में निर्दिष्ट किसी व्यक्ति के विरुद्ध, धारा ३ के अधीन किसी निरोध-आदेश के किए जाने का उस दशा में वर्जन करती है जब ऐसे व्यक्ति के संबंध में राष्ट्रीय-सुरक्षा अध्यादेश, १९८० (१९८० का ११) के प्रारम्भ के ठीक पूर्व यथापूर्वोक्त प्रवृत्त निरोध-आदेश किसी भी कारणवश, प्रवृत्त नहीं रह जाता है।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, राज्य विधि से कोई ऐसी विधि अभिप्रेत है जो, उन सभी या उनमें से किसी आधार पर, जिन पर धारा ३ की उपधारा (२) के अधीन कोई निरोध-आदेश किया जा सकता है, निवारक निरोध के लिए उपबन्ध करती है और जो उक्त अध्यादेश के प्रारम्भ के ठीक पूर्व किसी राज्य में प्रवृत्त है।