राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८०
धारा १४ :
निरोध-आदेश वापस लेना :
(१) साधारण खण्ड अधिनियम, १८९७ (१८९७ का १० ) की धारा २१ के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, किसी निरोध-आदेश को किसी भी समय, –
(a)(क) इस बात के होते हुए भी कि आदेश, धारा ३ की उपधारा (३) में वर्णित किसी अधिकारी द्वारा किया गया है, उस राज्य सरकार द्वारा, जिसके वह अधिकारी अधीनस्थ है या केन्द्रीय सरकार द्वारा वापस लिया जा सकेगा या उपांतरित किया जा सकेगा;
(b)(ख) इस बात के होते हुए भी कि आदेश किसी राज्य सरकार द्वारा किया गया है, केन्द्रीय सरकार द्वारा वापस लिया जा सकेगा या उपांतरित किया जा सकेगा।
१.(२) किसी निरोध-आदेश के (जिसे इस उपधारा में इसके पश्चात पूर्ववर्ती निरोध-आदेश कहा गया है) अवसान या वापस लिए जाने के कारण (चाहे ऐसा पूर्ववर्ती निरोध-आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा (दूसरा संशोधन) अधिनियम, १९८४ के प्रारम्भ के पूर्व या उसके पश्चात किया गया हो) उसी व्यक्ति के विरुद्ध धारा ३ के अधीन दूसरे निरोध-आदेश का (जिसे इस उपधारा में इसके पश्चात पश्चात्वती निरोध-आदेश कहा गया है) किया जाना वर्जित नहीं होगा :
परन्तु यदि ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध किए गए पूर्ववर्ती निरोध-आदेश के अवसान या वापस लिए जाने के पश्चात कोई नए तथ्य उत्पन्न नहीं हुए हैं तो ऐसी अधिकतम अवधि, जिसके लिए ऐसा व्यक्ति पश्चात्वर्ती निरोध-आदेश के अनुसरण में निरुद्ध किया जा सकेगा, किसी भी दशा में, पूर्ववर्ती निरोध-आदेश के अधीन निरोध की तारीख से बारह मास की अवधि के अवसान के परे नहीं बढ़ाई जाएगी।)
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१.१९८४ के अधिनियम सं० ६० की धारा ३ द्वारा (२१-६-१९८४ से) प्रतिस्थापित ।