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Ndps act धारा ७-क : ओषधि के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय निधि :

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
अध्याय २-क :
१.(ओषधि के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय निधि :
धारा ७-क :
ओषधि के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय निधि :
१) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक निधि स्थापित कर सकेगी जो राष्ट्रीय ओषधि दुरुपयोग नियंत्रण निधि (जिसे इस अध्याय में इसके पश्चात् निधि कहा गया है) कहलाएगी और उसमें निम्नलिखित जमा किया जाएगा –
क) वह रकम जो केन्द्रीय सरकार, इस निमित्त संसद् की विधि द्वारा विनियोग के पश्चात् उपलब्ध कराए;
ख) अध्याय ५-क के अधीन समपऱ्हत किसी सम्पत्ति के विक्रय आगम;
ग) ऐसे कोई अनुदान जो किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा दिए जाएं;
घ) पूर्वोक्त उपबंधों के अधीन निधि में जमा की गई रकम के विनिधान से कोई आय ।
२.(२) निधि का उपयोजन केन्द्रीय सरकार द्वारा निम्मलिखित के लिए गए अध्युपायों के संबंध में उपगत व्यय की पूर्ति के लिए किया जाएगा, –
क) स्वापक ओषधियों, मन:प्रभावी पदार्थो या नियंत्रित पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम करना;
ख) स्वापक ओषधियों और मन:प्रभावी पदार्थों के दुरुपयोग का नियंत्रण करना;
ग) व्यसनियों की पहचान करना, उनका उपचार करना, पुनर्वास करना;
घ) ओषधि के दुरुपयोग का निवारण करना;
ङ) ओषधि के दुरुपयोग के विरुद्ध जनता को शिक्षित करना; और
च) व्यसनियों को ओषधि प्रदाय करना जहां ऐसा प्रदाय चिकित्सीय आवश्यकता है ।)
३) केन्द्रीय सरकार, उस सरकार को सलाह देने के लिए और केन्द्रीय सरकार द्वारा, राजपत्र में अधिसूचित सीमा के अधीन रहते हुए उक्त निधि से धन निकालने की मंजूरी देने के लिए एक ऐेसे शासी निकाय का, जैसा वह ठीक समझे, गठन कर सकेगी ।)
४) शासी निकाय में एक अध्यक्ष (जो केन्द्रीय सरकार के अपर सचिव की पंक्ति से नीचे का नहीं होगा) और छह से अनधिक ऐसे अन्य सदस्य होंगे जो केन्द्रीय सरकार नियुक्त करे ।
५) शासी निकाय को अपनी प्रक्रिया स्वयं विनियमित करने की शक्ति होगी ।
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१.१९८९ के अधिनियम सं. २ की धारा ४ द्वारा अंत:स्थापित ।
२.२००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा ४ द्वारा अंत:स्थापित ।

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