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Ndps act धारा ६८-क : लागू होना :

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
अध्याय ५-क :
१.(२.(अवैध रुप से अर्जित संपत्ति का समपहरण :
धारा ६८-क :
लागू होना :
१) इस अध्याय के उपबंध उपधारा (२) में विनिर्दिष्ट व्यक्तियों को ही लागू होंगे ।
२) उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट व्यक्ति निम्नलिखित है, अर्थात् :-
क) ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जिसे इस अधिनियम के अधीन ३.(दस) वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया है;
ख) ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जिसे भारत के बाहर दांडिक अधिकारिता वाले किसी सक्षम न्यायलय द्वारा समरुप अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया है;
ग) ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जिसकी बाबत स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार निवारण अधिनियम, १९८८ (१९८८ का ४६) के अधीन या जम्मू-कश्मीर स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार निवारण अधिनियम, १९८८ (१९८८ का जम्मू-कश्मीर अधिनियम २३) के अधीन निरोध आदेश किया गया है :
परन्तु यह तब जब ऐसा निरोध आदेश उक्त अधिनियमों के अधीन गठित सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट पर वापस न ले लिया गया हो या ऐसा निरोध आदेश सक्षम अधिकारिता वाले किसी न्यायालय द्वारा अपास्त न कर दिया गया हो;
४.(गग) ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो इस अधिनियम के अधीन दस वर्ष या इससे अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए गिरफ्तार किया गया है या जिसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट या प्राधिकार जारी किया गया है और ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो किसी अन्य देश की तत्समान किसी विधि के अधीन कोई ऐसा ही अपराध करने के लिए गिरफ्तार किया गया है या जिसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट प्राधिकार जारी किया गया है;)
घ) ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो खंड (क) या खंड (ख) या खंड (ग) ५.(या खंड (गग) में निर्दिष्ट किसी व्यक्ति का नातेदार है;
ङ) खंड (क) या खंड (ख) या खंड (ग) ५.(या खंड (गग) में निर्दिष्ट व्यक्ति का प्रत्येक सहयुक्त व्यक्ति;
च) किसी ऐसी सम्पत्ति का, जो पहले किसी समय खंड (क) या खंड (ख) या खंड (ग) ५.(या खंड (गग) में निर्दिष्ट किसी व्यक्ति के पास थी, कोई धारक (जिसे इस खंड में इसके पश्चात् वर्तमान धारक कहा गया है) तब तक जब तक कि, यथास्थिति, वर्तमान धारक या ऐसा कोई व्यक्ति, जिसके पास ऐसे व्यक्ति के पश्चात् और वर्तमान धारक के पूर्व ऐसी संपत्ति थी, पर्याप्त प्रतिफल के लिए सद्भाविक अंतरिती नहीं है या था ।
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१. १९८९ के अधिनियम सं.२ की धारा १९ द्वारा अंत:स्थापित ।
२. २०१४ के अधिनियम सं. १६ की धारा १९ द्वारा प्रतिस्थापित ।
३. २००१ के अधिनियम सं.९ की धारा ३१ द्वारा प्रतिस्थापित ।
४. २००१ के अधिनियम सं.९ की धारा ३१ द्वारा अंत:स्थापित ।
५. २००१ के अधिनियम सं.९ की धारा ३१ द्वारा अंत:स्थापित ।

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