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Ndps act धारा ३९ : कुछ अपराधियों को परिवीक्षा पर निर्मुक्त करने की न्यायालय की शक्ति :

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ३९ :
कुछ अपराधियों को परिवीक्षा पर निर्मुक्त करने की न्यायालय की शक्ति :
१) जब किसी व्यसनी को १.(धारा २९ के अधीन या किसी स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ की अल्प मात्रा से संबंधित अपराधों के लिए) दंडनीय किसी अपराध का दोषी पाया जाता है और यदि उस न्यायालय की, जिसके द्वारा वह दोषी पाया जाता है, अपराधी की आयु, चरित्र, पूर्ववृत्त अथवा शरीरिक या मानसिक दशा को ध्यान में रखते हुए, यह राय है कि ऐसा करना समीचीन है, तब इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, न्यायालय उसे तत्काल किसी कारावास से दण्डादिष्ट करने के बजाय, उसकी सहमति से यह निदेश दे सकेगा कि उसे सरकार द्वारा चलाए जा रहे मान्यताप्राप्त किसी अस्पताल या संस्था से निराविषीकरण या निराव्यसन के लिए चिकित्सीय उपचार कराने के लिए और न्यायालय के समक्ष एक वर्ष से अनधिक की अवधि के भीतर हाजिर होने और अपने चिकित्सीय उपचार के परिणाम के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए या इस बीच अध्याय ४ के अधीन किसी अपराध को करने से प्रवरित रहने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित प्ररुप में, प्रतिभुओं सहित या उनके बिना, बन्धपत्र निष्पादित करने पर निर्मुक्त किया जाए ।
२) यदि चिकित्सीय उपचार के परिणाम के बारे में उपधारा (१) के अधीन प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि ऐसा करना समीचीन है तो न्यायालय अपराधी को उसके द्वारा तीन वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के दौरान, जो न्यायालय विनिर्दिष्ट करना ठीक समझे, अध्याय ४ के अधीन कोई अपराध करने से प्रविरत रहने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित प्ररुप में प्रतिभुओं सहित या उनके बिना बन्धपत्र निष्पादित किए जाने पर, सम्यक् भत्र्सना के पश्चात् निर्मुक्त किए जाने, अथवा उसके इस प्रकार प्रविरत रहने में असफल रहने पर न्यायालय के समक्ष हाजिर होने और ऐसी अवधि के दौरान जब अपेक्षा की जाए दण्डादेश प्राप्त करने के लिए निदेश दे सकेगा ।
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१. २००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा १८ द्वारा प्रतिस्थापित ।

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