स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ३६-घ :
१.(संक्रमणकालीन उपबन्ध :
१) धारा ३६ के अधीन किसी विशेष न्यायालय का गठन होने तक, स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (संशोधन) अधिनियम, १९८८ (१९८९ का २) के प्रारम्भ पर या उसके पश्चात् इस अधिनियम के अधीन किए गए किसी ऐसे अपराध का, जो किसी विशेष न्यायालय द्वारा विचारणीय है, विचारण, दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी, सेशन न्यायालय द्वारा किया जाएगा ।
२) जहां स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (संशोधन) अधिनियम,१९८८ (१९८९ का २) के प्रारम्भ पर या उसके पश्चात् इस अधिनियम के अधीन किए गए किसी अपराध से संबंधित कोई कार्यवाही किसी सेशन न्यायालय के समक्ष लम्बित है वहां, उपधारा (१) में किसी बात के होते हुए भी, ऐसी कार्यवाही की सेशन न्यायलय द्वारा सुनवाई की जाएगी और उसका निपटान किया जाएगा :
परन्तु इस उपधारा की किसी बात से दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) की धारा ४०७ के अधीन उच्च न्यायालय की, किसी सेशन न्यायालय द्वारा उपधारा (१) के अधीन संज्ञान किए गए किसी मामले या मामलों के वर्ग को अन्तरित करने की, शक्ति प्रभावित नहीं होगी ।)
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१.२००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा १६ द्वारा प्रतिस्थापित ।
