स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ३१-क :
१.( पूर्व दोषसिद्धि के पश्चात् कुछ अपराधों के लिए मृत्यु दंड :
१) धारा ३१ में किसी बात के होते हुए भी, २.( धारा १९, धारा २४, धारा २७-क के अधीन दंडनीय किसी अपराध के किए जाने या करने का प्रयत्न करने या दुष्प्रेरण करने या करने का आपराधिक षडयंत्र करने के लिए और उन अपराधों के लिए जो किसी स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ की वाणिज्यिक मात्रा से संबंधित है ) सिद्धदोष कोई व्यक्ति, यदि वह निम्नलिखित से संबंधित अपराध किए जाने या करने का प्रयत्न करने या दुष्प्रेरण करने या उसे करने के आपराधिक षडयंत्र के लिए तदनंतर सिद्धदोष ठहराया जाता है तो १.( ऐसे दंड से जो धारा ३१ में विनिर्दिष्ट दंड से कम का नहीं होगा या मृत्यु दंड से, दंडित किया जाएगा), अर्थात् :-
क) नीचे दी गई सारणी के स्तंभ (१) के अधीन विनिर्दिष्ट स्वापक ओषधियों या मन:प्रभावी पदार्थों और उनमें अंतर्वलित मात्रा के, जो उक्त सारणी के स्तंभ (२) में यथाविनिर्दिष्ट ऐसी प्रत्येक ओषधि या पदार्थ के सामने उपदर्शित मात्रा के बराबर या उससे अधिक है, उत्पादन, विनिर्माण, कब्जा, परिवहन, भारत में आयात, भारत से निर्यात या यानांतरण में लगे रहने से संबंधित अपराध :
सारणी :
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स्वापक ओषधियों / मन:प्रभावी पदार्थों की विशिष्टियां (१) : —– मात्रा (२) :
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एक) अफीम —– १० किलोग्राम
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दो) मार्फीन —– १ किलोग्राम
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तीन) हिरोइन —— १ किलोग्राम
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चार) कोडीन ——- १ किलोग्राम
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पांच) थिबेन ——- १ किलोग्राम
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छह) कोकेन ——- ५०० ग्राम
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सात) हशीश —— २० किलोग्राम
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आठ) उपरोक्त ओषधियों में से किसी ओषधि की निष्प्रभावी सामग्री सहित या उससे रहित कोई मिश्रण ——- २.(ऊपर वर्णित सम्मिश्रण के भागरुप संबंधित ऐसी स्वापक ओषधियों या मन:प्रभावी पदार्थों के सामने जो मात्राएं दी गई है उनसे कम मात्रा)
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नौ) एल.एस.डी, एल.एस.डी.–२५ (+)- एन, एन डाइएथिललाइसरजैमाईड (डी-लाइसर्जिक अम्ल डाइथिलएमाइड) —– ५०० ग्राम
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दस) डी.एच.सी. टेट्राहाइड्रोकेनाबिनोल्स, निम्नलिखित समाव्यपी : ६ए (१०ए) / ६्ए (७) ७, ८, ९, १०, ९(११) और उनके त्रिविम रासायनिक रुप भेद १ ——– ५०० ग्राम
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ग्यारह) मेथेमकेटामिन (+)-२-मेथिलामाइन, १-फनिलप्रोपेन ——- १५०० ग्राम
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बारह) मेथाक्वेलोन (२ मेथिल-३-ओ-टोलिल-४-(३एच)-क्विनेजोलिनोन) ——- १५०० ग्राम
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तेरह) एम्फटेमिन (+)-२-एमिनी-१-फेनिलप्रोपेन ———- १५०० ग्राम
चौदह) (नौ) से (तेरह) में वर्णित मन:प्रभावी पदार्थों के लवण और निर्मितियां ——– १५०० ग्राम
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ख) खंड (क) में विनिर्दिष्ट क्रियाकलापों में किसी क्रियाकलाप का, प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत: वित्तपोषण करना ।
२) जहां कोई व्यक्ति २.( धारा १९, धारा २४ या धारा २७-क के उपबंधो के तत्समान किसी विधि के अधीन और किसी स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ की वाणिज्यिक मात्रा से संबंधित अपराधों के लिए) भारत के बाहर किसी दांडिक अधिकारिता वाले सक्षम न्यायालय द्वारा सिद्धदोष ठहराया जाता है, वहां ऐसी दोषसिद्धि की बाबत ऐसे व्यक्ति के बारे में उपधारा (१) के प्रयोजनों के लिए ऐसी कार्यवाही की जाएगी मानो वह भारत में किसी न्यायालय द्वारा सिद्धदोष ठहराया गया हो ।)
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१.२०१४ के अधिनियम सं. १६ की धारा १५ द्वारा प्रतिस्थापित ।
२.२००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा १३ द्वारा प्रतिस्थापित ।
