स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा २ :
परिभाषाएं :
इस अधिनियम में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
१.(एक) व्यसनी से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो किसी स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ पर आश्रित है;)
दो) बोर्ड से केन्द्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, १९६३ (१९६३ का ५४) के अधीन गठित केन्द्रीय उत्पाद-शुल्क और सीमाशुल्क बोर्ड अभिप्रेत है ;
तीन) कैनबिस (हैम्प) से अभिप्रेत है,-
क) चरस, अर्थात कच्चा या शोधित किसी भी रुप में पृथक् किया गया रेजिन जो कैनेबिस के पौधे से प्राप्त किया गया हो और इसके अन्तर्गत हशीश तेल या द्रव हशीश के नाम से ज्ञात सांद्रित निर्मिति और रेजिन है;
ख) गांजा, अर्थात् कैनेबिस के पौधे के फूलने और फलने वाले सिरे (इनके अन्तर्गत बीज और पत्तियां जब वे सिरे के साथ न हों, नहीं है) चाहे वे किसी भी नाम से ज्ञात या अभिहित हों; और
ग) उपरोक्त किसी भी प्रकार के कैनेबिस का कोई मिश्रण चाहे वह किसी निष्प्रभावी पदार्थ सहित या उसके बिना हो, उससे निर्मित कोई पेय;
चार) कैनेबिस का पौधा से कैनेबिस वंश का कोई पौधा अभिप्रेत है;
२.(चार-क) केंन्द्रीय सरकार के कारखानों से केन्द्रीय सरकार के स्वामित्वाधीन कारखाने या किसी ऐसी कंपनी के, जिसमें केन्द्रीय सरकार समादत्त शेयर पूंजी का कम से कम इक्यावन प्रतिशत धारण करती है, स्वामित्वाधीन कारखाने अभिप्रेत है;)
पांच) कोका के व्युत्पाद से अभिप्रेत है –
क) कच्चा कोकेन, अर्थात् कोका की पत्ती का कोई सार जिसका कोकेन के विनिर्माण के लिए प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत: उपयोग किया जा सकता है;
ख) ऐकगोनिन और ऐकगोनिन के सभी व्युत्पाद, जिनसे उसे प्राप्त किया जा सकता है;
ग) कोकेन, अर्थात् बेंजायल-ऐकगोनिन का मेथिल एस्टर और उसके लवण ; और
घ) सभी निर्मितियां जिनमें ०.१ प्रतिशत से अधिक कोकेन हो;
छ) कोका की पत्ती से अभिप्रेत है –
क) कोका के पौधे की पत्ती, सिवाय उस पत्ती के जिससे सभी ऐकगोनिन, कोकेन और कई अन्य ऐकगोनिन ऐल्केलाइड निकाल लिए गए है;
ख) उनका कोई मिश्रण चाहे वह निष्प्रभावी पदार्थ सहित या उसके बिना हो,
किन्तु इसके अन्तर्गत कोई ऐसी निर्मिति नहीं है जिसमें ०.१ प्रतिशत से अनधिक कोकेन है;
सात) कोका का पौधा से ऐसिग्राोजाइलान वंश की किसी जाति का पौधा अभिप्रेत है;
३.(सात-क) स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थ के संबंध में वाणिज्यिक मात्रा से केन्द्रीय सरकार द्वारा, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट मात्रा से उच्चतर कोई मात्रा अभिप्रेत है;
सात-ख) नियंत्रित परिदान से स्वापक ओषधियों, मन:प्रभावी पदार्थों, नियंत्रित पदार्थों या उनके लिए प्रतिस्थापित पदार्थों के अवैध या संदिग्ध परेषणों को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के किए जाने में अंतर्वलित व्यक्तियों की पहचान करने की दृष्टि से इस निमित्त सशक्त या धारा ५० के अधीन सम्यक् रुप से प्राधिकृत किसी अधिकारी की जानकारी में या उसके पर्यवेक्षण के अधीन भारत के राज्यक्षेत्र से बाहर ले जाने, उससे होकर निकालने या उसमें लाने के लिए अनुज्ञात करने की तकनीक अभिप्रेत है;
सात-ग) तत्स्थानी विधि से इस अधिनियम के उपबंधों की तत्स्थानी कोई विधि अभिप्रेत है;)
४.(५.(सात-घ) नियंत्रित पदार्थ से ऐसा पदार्थ अभिप्रेत है जिसे केन्द्रीय सरकार, स्वापक ओषधियों या मन:प्रभावी पदार्थों के उत्पादन या विनिर्माण में उसके संभावित प्रयोग के बारे में या किसी अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के किसी उपबंध के बारे में उपलब्ध जानकारी को ध्यान में रखते हुए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियंत्रित पदार्थ घोषित करे;)
आंठ) प्रवहण से किसी भी प्रकार को कोई प्रवहण अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत कोई वायुयान, यान या जलयान है;
६.(आंठ-क) आवश्यक स्वापक ओषधि से केंद्रीय सरकार द्वारा चिकित्सीय और वैज्ञानिक उपयोग के लिए अधिसूचित कोई स्वापक ओषधि अभिप्रेत है;
४.(७.आंठ-ख) स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थों के संबंध में अवैध व्यापार से निम्नलिखित अभिप्रेत है, अर्थात् :-
एक) कोका के पौधे की खेती करना या कोका के पौधे के किसी भाग का संग्रह करना;
दोन) अफीस पोस्त या किसी कैनेबिस के पौधे की खेती करना;
तीन) स्वापक ओषधियों या मन:प्रभावी पदार्थों के उत्पादन, विनिर्माण, कब्जा, विक्रय, क्रय, परिवहन, भांडागारण, छिपाव, उपयोग या उपभोग, अंतरराज्यिक आयात, अंतरराज्यिक निर्यात, भारत में आयात, भारत से निर्यात या यानांतरण का कार्य करना;
चार) स्वापक ओषधियों या मन:प्रभावी पदार्थो के उपखंड (एक) से उपखंड (तीन) तक में निर्दिष्ट क्रियाकलापों से भिन्न किन्हीं क्रियाकलापों में व्यवहार करना; या
पांच) उपखंड (एक) से उपखंड (चार) तक में निर्दिष्ट किसी क्रियाकलाप के लिए परिसर का प्रबंध करना या उसे कियाए पर देना,
सिवाय उनके जिन्हें इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए किसी नियम या किए गए आदेश, या जारी की गई किसी अनुज्ञप्ति की किसी शर्त, निबंधन या प्राधिकरण के अधीन अनुज्ञात किया गया है और इसके अंतर्गत निम्नलिखित भी है –
१) पूर्व वर्णित क्रियाकलापों में से किसी का प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत: वित्तपोषण करना;
२) पूर्व वर्णित क्रियाकलापों में से किसी के करने को अग्रसर करने में या समर्थन में दुष्प्रेरण या षडयंत्र करना; और
३) पूर्व वर्णित क्रियाकलापों में से किसी में लगे व्यक्तियों को संश्रय देना;)
नौ) अन्तरराष्ट्रीय कन्वेंशन से अभिप्रेत है,-
क) स्वापक ओषधि एकल कन्वेंशन, १९६१, जो संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा मार्च, १९६१ में न्यूयार्क में अंगीकार किया गया था;
ख) उपखंड (क) में वर्णित कन्वेंशन का संशोधन करने वाला प्रोटोकाल, जो संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा मार्च, १९७२ में जेनेवा में अंगीकार किया गया था;
ग) मन:प्र्रभावी पदार्थ कन्वेंशन, १९७१, जो संयुक्त राष्ट्र सम्मलेलन द्वारा फरवरी, १९७१ में वियना में मार्च, १९७२ में अंगीकार किया गया था; और
घ) स्वापक ओषधियों या मन:प्रभावी पदार्थो से संबंधित किसी अन्तरराष्ट्रीय कन्वेंशन का संशोधन करने वाला कोई अन्य अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन या प्रोटोकाल या अन्य लिखत जिसका इस अधिनियम के प्रारम्भ के पश्चात् भारत द्वारा अनुसमर्थन या अंगीकार किया जाए;
दस) स्वापक ओषधियो या मन:प्रभावी पदार्थो के संबंध में विनिर्माण के अंतर्गत निम्नलिखित है, –
१) उत्पादन से भिन्न ऐसी सभी प्रक्रियाएं जिनके द्वारा ऐसी ओषधियां या पदार्थ प्राप्त किए जाएं;
२) ऐसी ओषधियों या पदार्थो का परिष्करण;
३) ऐसी ओषधियों या पदार्थो का रुपांतरण; और
४) ऐसी ओषधियों या पदार्थों के साथ या उनको अंतर्विष्ट करने वाली निर्मितियों का (नुस्खे के आधार पर किसी फार्मेसी में से अन्यत्र) बनाया जाना;
ग्यारह) विनिर्मित ओषधि से अभिप्रेत है –
क) कोका के सभी व्युत्पाद, ओषधीय, अफीम के व्युत्पाद और पोस्त तृण सांद्र;
ख) ऐसा कोई अन्य स्वापक पदार्थ या निर्मिति, जिसको केन्द्रीय सरकार, उसकी प्रकृति के बारे में उपलब्ध जानकारी को या किसी अन्तरराष्ट्रीय कन्वेंशन के अधीन किसी विनिश्चय को यदि कोई हो, ध्यान में रखते हुए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्मित ओषधि घोषित करे,
किन्तु इसके अन्तर्गत ऐसा कोई स्वापक पदार्थ या निर्मिति नहीं है जिसे केन्द्रीय सरकार, उसकी पकृति के बारे में उपलब्ध जानकारी को या किसी अन्तरराष्ट्रीय कन्वेंशन के अधीन उसकी प्रकृति के या किसी विनिश्चय के बारे में उपलब्ध जानकारी को ध्यान में रखते हुए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्मित ओषधि न घोषित करे;
बारह) ओषधीय कैनेबिस अर्थात ओषधीय हैम्प से कैनेबिस (हैम्प) का कोई सार या टींक्चर अभिप्रेत है;
तेरह) स्वापक आयुक्त से धारा ५ के अधीन नियुक्त स्वापक आयुक्त अभिप्रेत है;
चौदह) स्वापक ओषधि से कोका की पत्ती, कैनेबिस (हैम्प), अफीम, पोस्त तृण अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत सभी विनिर्मित ओषधियां है;
पंदरह) अफीम से अभिप्रेत है, –
क) अफीम पोस्त या स्कंदित रस; और
ख) अफीम पोस्त के स्कंदित रस का कोई मिश्रण चाहे वह निष्प्रभावी पदार्थ सहित या उसके बिना हो,
किन्तु इसके अन्तर्गत ऐसी कोई निर्मिति नहीं है जिसमे ०.२ प्रतिशत से अनधिक मार्फीन हो;
सोलह) अफीम के व्युत्पाद से अभिप्रेत है, –
क) ओषधीय अफीम अर्थात् ऐसी अफीम जिसका भारतीय भेषजकोष या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त अधिसूचित किसी अन्य भेषकोष अपेक्षाओं के अनुसार ओषधीय प्रयोग के लिए अनुकूलित करने के लिए आवश्यक प्रसंस्कार कर दिया जाता है, चाहे वह चूर्ण के रुप में या कणिका के रुप में या अन्यथा हो अथवा निष्प्रभावी पदार्थो से मिश्रित हो;
ख) निर्मित अफीम अर्थात् अफीम को धूम्रपान के उपयुक्त सार में रुपांतरित करने के लिए परिकल्पित किन्ही क्रमबद्ध संक्रियोओं द्वारा अभिप्राप्त अफीम को कोई उत्पाद और अफीम का धुम्रपान करने के पश्चात् बचा हुआ कोई मंडूर या अन्य अवशेष;
ग) फिनेंथ्रीन ऐल्केलाइड, अर्थात मार्फीन, कोडीन, थिबेन और उनके लवण;
घ) डाइऐसीटल मार्फीन अर्थात् ऐल्केलाइड जिसे डाइ-मार्फीन या हिरोइन कहा जाता है और उसका लवण; और
ङ) सभी निर्मितियां, जिनमें ०.२ प्रतिशत से अधिक मार्फीन या डाइऐसीटल मार्फीन हो;
सत्रह) अफीम पोस्त से अभिप्रेत है, –
क) पैपेवर सोन्नीपफेरम एल. जातियों का पौधा; और
ख) पैपेवर की किसी अन्य जाति का पौधा जिसमे अफीम या फिनेंथ्रीन ऐल्केलाइड निकाला जा सकता है और जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए अफीम पोस्त घोषित करे;
अठारह) पोस्त तृण से फसल कटाई के पश्चात् अफीम पोस्त के (बीजों के सिवाय) सभी भाग अभिप्रेत है चाहे वे मूल रुप में या कटे हुए, संदलित या चूर्णित हो और चाहे उनमें से रस निकाला गया हो या न निकाला गया हो;
उन्नीस) पोस्त तृण सांद्र से अभिप्रेत है उस समय उत्पन्न पदार्थ जब पोस्त तृण का उसके ऐल्केलाइड के सांद्रण के लिए प्रसंस्कार प्रारम्भ कर दिया गया हो;
बीस) स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ के सम्बन्ध में निर्मिति से अभिप्रेत है खुराक के रुप में कोई एक या अधिक ऐसी ओषधियां या पदार्थ या ऐसी एक या अधिक ओषधियां या पदार्थ को अन्तर्विष्ट करने वाला कोई घोल या मिश्रण चाहे वह किसी भी भौतिक स्थिति में हो;
इक्कीस) विहित से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
बाईस) उत्पादन से अफीम, पोस्त तृण कोका की पत्तियों या कैनेबिस का ऐसे पौधो से, जिनसे वे प्राप्त होते है, पृथक् किया जाना अभिप्रेत है;
तेईस) मन:प्रभावी पदार्थ से अभिप्रेत है कोई प्राकृतिक या संश्लिष्ट पदार्थ या कोई प्राकृतिक सामग्री अथवा ऐसे पदार्थ या सामग्री का कोई लवण जो अनुसूची में विनिर्दिष्ट मन:प्रभावी पदार्थों की सूची में सम्मिलित निर्मिति;
१.(तेईस-क) स्वापक ओषधी और मन:प्रभावी पदार्थ के संबंध में अल्प मात्रा से केन्द्रीय सरकार द्वारा, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट मात्रा से न्यूनतर कोई मात्रा अभिप्रेत है;)
चौबीस) अन्तरराज्यिक आयात से भारत के किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में भारत के किसी दूसरे राज्य या संघ राज्यक्षेत्र से लाना अभिप्रेत है;
पच्चीस) भारत में आयात से उसके व्याकरणिक रुपभेदों और सजातीय पदों सहित, भारत के बाहर के किसी स्थान से भारत में लाना अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत भारत में किसी पत्तन या विमानपत्तन या स्थान में ऐसी कोई स्वापक ओषधि या मन:प्रभावी पदार्थ लाना है, जिसे ऐसे किसी जलयान, वायुयान, यान या किसी अन्य प्रवहन से, जिसमें उसका वहन किया जा रहा है, हटाए बिना भारत के बाहर ले जाने का आशय है ।
स्पष्टीकरण :
इस खंड और खंड (छब्बीस) के प्रयोजनों के लिए भारत के अन्तर्गत भारत के राज्यक्षेत्रीय सागरखंड है;
छब्बीस) भारत से निर्यात से, उसके व्याकरणिक रुपभेदों और सजातीय पदों सहित, भारत के बाहर किसी स्थान तक भारत से बाहर ले जाना अभिप्रेत है;
सत्ताईस) अन्तरराज्यिक निर्यात से भारत के किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र से भारत के किसी दूसरे राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में ले जाना अभिप्रेत है;
अठ्ठाईस) परिवहन से उसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना अभिप्रेत है;
४.(अठ्ठाईस-क) स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थो के संबंध में, उपयोग से व्यक्तिगत उपयोग को छोडकर किसी भी प्रकार का उपयोग अभिप्रेत है;)
उन्तीस) उन शब्दो और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त है और परिभाषित नहीं है किन्तु दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २) में परिभाषित है, वही अर्थ होंगे जो उस संहिता में है ।
स्पष्टीकण :
खण्ड (पांच), खण्ड (छह), खण्ड (पंदराह) और खण्ड (सोलाह) के प्रयोजनों के लिए द्रव निर्मितियों की दशा में प्रतिशतता का परिकलन इस आधार पर किया जाएगा कि उस निर्मिति से जिसमें पदार्थ का एक प्रतिशत है ऐसी निर्मिति अभिप्रेत है जिसमें उस पदार्थ का, यदि वह ठोस है तो, एक ग्राम या उस पदार्थ का यदि वह द्रव है तो एक मिलीलिटर, उस निर्मिति के प्रत्येक एक सौ मिलीलिटर में अन्तर्विष्ट है और यही अनुपात किसी अधिक या कम प्रतिशतता के लिए होगा :
परन्तु केन्द्रीय सरकार, द्रव निर्मितियों में प्रतिशतताओं की संगणना की पद्धतियों के क्षेत्र में हुए विकासों को ध्यान में रखते हुए, नियमों द्वारा, ऐसे कोई अन्य आधार विहित कर सकेगी जो वह ऐसी संगणना के लिए समुचित समझे ।
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१.२००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा ३ द्वारा अंत:स्थापित ।
२.२०१४ के अधिनियम सं. १६ की धारा २ द्वा अंत:स्थापित ।
३.२००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा ३ द्वारा अंत:स्थापित ।
४.१९८९ के अधिनियम सं. २ की धारा ३ द्वारा अंत:स्थापित ।
५.२००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा ३ द्वारा पुन:संख्यांकित ।
६.२०१४ के अधिनियम सं. १६ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।
७.२०१४ के अधिनियम सं. १६ की धारा २ द्वारा पुन: अक्षरांकित ।
