स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
(१९८५ का अधिनियम संख्यांक ६१) (१६ सितम्बर १९८५)
उद्देशिका :
अध्याय १ :
प्रारम्भिक :
धारा १ :
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :
स्वापक औषधियों से संबंधित विधि का समेकन और संशोधन करने के लिए, स्वापक औषधियों और मन:प्रभावी पदाथों से संबंधित संक्रियाओं के नियंत्रण और विनियमन के लिए १.(स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थो के अवैध व्यापार से प्राप्त या उसमें प्रयुक्त संपत्ति के समपहरण का उपबंध करने के लिए, स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थो पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए) तथा उससे संबंधित विषयों के लिए कडे उपबन्ध करने के लिए अधिनियम
भारत गणराज्य के छत्तीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रुप में यह अधिनियमित हो :-
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१) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५ है ।
२) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है २.(और यह –
क) भारत के बाहर भारत के सभी नागरिकों को;
ख) भारत में रजिस्ट्रिकृत पोतों और वायुयानों पर सभी व्यक्तियों को,
वे जहां भी हो, भी लागू होता है ।)
३) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबन्धों के लिए और भिन्न-भिन्न राज्यों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी । और ऐसे किसी उपबन्ध में इस अधिनियम के प्रारम्भ के प्रति निर्देश का किसी राज्य के संबंध में यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस राज्य में उस उपबन्ध के प्रवृत्त होने के प्रति निर्देश है ।
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१.१९८९ के अधिनियम सं. २ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।
२.२००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।
