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Mv act 1988 धारा ५६ : परिवहन यानों के ठीक हालत में होने का प्रमाणपत्र :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ५६ :
परिवहन यानों के ठीक हालत में होने का प्रमाणपत्र :
१) धारा ५९ और धारा ६० के उपबंधों के अधीन रहते हुए किसी परिवहन यान को धारा ३९ के प्रयोजनों के लिए तभी विधिमान्यत: रजिस्ट्रीकृत समझा जाएगा जब उसके पास ऐसे प्ररूप में जिसमें ऐसी विशिष्टियां और जानकारी दी गई हैं, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं ठीक हालत में होने का विहित प्राधिकारी द्वारा या उपधारा (२) में वर्णित किसी प्राधिकृत परीक्षण केन्द्र द्वारा दिया गया इस आशय का प्रमाणपत्र हो कि वह यान इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों की उस समय की सभी अपेक्षाओं की पूर्ति करता है :
परन्तु जहां विहित प्राधिकारी या प्राधिकृत परीक्षण केन्द्र ऐसा प्रमाणपत्र देने से इंकार करता है वहां वह यान के स्वामी को ऐसे इंकार के लिए अपने कारण लिखित रूप में देगा ।
१.(परंतु यह और कि ऐसी तारीख, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए, के पश्चात् किसी यान को तब तक उपयुक्तता प्रमाणपत्र अनुदत्त नहीं किया जाएगा जब तक ऐसे यान का स्वचालित परीक्षण केंद्र पर परीक्षण न कर लिया गया हो ।)
२.(उपधारा (१) में निर्दिष्ट प्राधिकृत परीक्षण केंद्र से कोई प्रसुविधा अभिप्रेत है, जिसके अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत स्वचालित परीक्षण प्रसुविधा है, जहां ऐसे केंद्रो की मान्यता, विनियमन और नियंत्रण के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार उपयुक्तता परीक्षण संचालित किया जा सकेगा ।)
३)उपधारा (४) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, ठीक हालत में होने का प्रमाणपत्र उतनी अवधि के लिए प्रभावशील बना रहेगा जितनी केन्द्रीय सरकार द्वारा इस अधिनियम के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए विहित की जाए ।
४)विहित प्राधिकारी ठीक हालत में होने के प्रमाणपत्र को ऐसे कारणों से, जो लेखबध्द किए जाएंगे, किसी भी समय रद्द कर सकेगा यदि उसका समाधान हो जाता है कि जिस यान के संबंध में वह प्रमाणपत्र है वह अब इस अधिनियम की और उसके अधीन बनाए गए नियमों की सभी अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं करता है, और ऐसे रद्द किए जाने पर यान के रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र को और यान के बारे में अध्याय ५ के अधीन दिए गए परमिट की बाबत यह समझा जाएगा कि वह तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है जब तक ठीक हालत में होने का नया प्रमाणपत्र अभिप्राप्त नहीं कर लिया जाता :
३.(परंतु विहित प्राधिकारी द्वारा ऐसा रद्दकरण तब तक नहीं किया जाएगा जब तक,-
(a)क) ऐसा विहित प्राधिकारी ऐसी तकनीकी अर्हता न रखता हो, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए और जहां विहित प्राधिकारी तकनीकी अर्हता नहीं रखता है, ऐसा रद्दकरण ऐसी अर्हता रखने वाले किसी अधिकारी की रिपोर्ट पर किया जाएगा, और
(b)ख) किसी उपयुक्तता प्रमाणपत्र को रद्द करने के लेखबद्ध कारणों की यान के स्वामी, जिसके उपयुक्तता प्रमाणपत्र को रद्द करने की वांछा की जा रही है, द्वारा चुने गए प्राधिकृत परीक्षण केंद्र में पुष्टि की जाएगी :
परंतु यह और कि यदि रद्दकरण की प्राधिकृत परीक्षण केंद्र द्वारा पुष्टि कर दी जाती है तो परीक्षण करने की लागत को परीक्षण किए जा रहे यान के स्वामी द्वारा और अन्यथा विहित प्राधिकारी द्वारा वहन किया जाएगा ।)
५)इस अधिनियम के अधीन दिया गया ठीक हालत में होने का प्रमाणपत्र जब तक प्रभावशील बना रहता है तब तक वह संपूर्ण भारत में विधिमान्य होगा ।
४.(६) इस धारा के अधीन विधिमान्य उपयुक्तता प्रमाणपत्र रखने वाले सभी परिवहन यान उनकी बाडी पर स्पष्ट और सहज दृश्य रीति में ऐसा सुभिन्न चिन्ह लागाएंगे, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित किया जाए ।
७) ऐसी शर्तो के अधीन रहते हुए, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं, इस धारा के उपबंधों का गैर-परिवहन यानों पर विस्तार हो सकेगा ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा २३ द्वारा परंतुक के पश्चात परंतुक अंत:स्थापित ।
२. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा २३ द्वारा धारा (२) उपधारा (१) में निर्दिष्ट प्राधिकृत परीक्षण केन्द्र से ऐसा यान सर्विस केन्द्र या पब्लिक या प्राइवेट गैरेज अभिप्रेत है जिसे राज्य सरकार, ऐसे केन्द्र या गैरेज के प्रचालक के अनुभव, प्रशिक्षण और योग्यता को और उसके परीक्षण उपस्कर तथा परीक्षण कार्मिकों को ध्यान में रखते हुए, केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐसे केन्द्रों या गैरेजों के विनियमन और नियंत्रण के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार, विनिर्दिष्ट करे ।) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा २३ द्वारा उपधारा ४ के परंतुक (परन्तु ऐसा रद्दकरण किसी विहित प्राधिकारी द्वारा तभी किया जाएगा जब ऐसा विहित प्राधिकारी ऐसी तकनीकी अर्हता धारित करता है, जो विहित की जाए, या जहां विहित प्राधिकारी ऐसी तकनीकी अर्हता धारित नहीं करता है वहां ऐसी अर्हताएं रखने वाले किसी अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर ऐसा किया जा सकेगा ।) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा २३ द्वारा उपधारा ५ के पश्चात अंत:स्थापित ।

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