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Mv act 1988 धारा ४७ : दूसरे राज्यों को ले जाए जाने पर नए रजिस्ट्रीकरण चिहन का दिया जाना :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ४७ :
दूसरे राज्यों को ले जाए जाने पर नए रजिस्ट्रीकरण चिहन का दिया जाना :
१) जब कोई मोटर यान, जो एक राज्य में रजिस्ट्रीकृत है, दूसरे राज्य में बारह मास से अधिक अवधि के लिए रखा गया है, तब उस यान का स्वामी नया रजिस्ट्रीकरण चिहन दिए जाने के लिए ऐसी अवधि के भीतर और ऐसे प्ररूप में जिसमें ऐसी विशिष्टियां होंगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं, उस रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी को आवेदन करेगा जिसकी अधिकारिता में वह यान उस समय है और रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र उस रजिस्ट्रीकृर्ता प्राधिकारी को प्रस्तुत करेगा :
परंतु इस उपधारा के अधीन किसी आवेदन के साथ निम्नलिखित होगा , –
१)धारा ४८ के अधीन अभिप्राप्त आक्षेप न होने का प्रमाणपत्र, या
२)उस दशा में जहां ऐसा प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं किया गया है वहां –
(a)क) धारा ४८ की उपधारा (२) के अधीन प्राप्त रसीद; या
(b)ख) यदि यान के स्वामी ने इस निमित्त आवेदन धारा ४८ में निर्दिष्ट रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी को रसीदी रजिस्ट्री डाक द्वारा भेजा है तो उसके द्वारा प्राप्त डाक रसीद, जिसके साथ यह घोषणा होगी कि उसे ऐसे प्राधिकारी से ऐसी कोई संसूचना प्राप्त नहीं हुई है जिसमें ऐसा प्रमाणपत्र दिए जाने से इंकार किया गया है, या उससे ऐसे किसी निदेश का पालन करने की अपेक्षा की गई है जिसके अधीन ऐसा प्रमाणपत्र दिया जा सकेगा :
परन्तु यह और कि ऐसे मामले में जहां मोटर यान अवक्रय, पट्टा या आड्मान करार के अधीन धारित है वहां इस उपधारा के अधीन आवेदन के साथ उस व्यक्ति का आक्षेप न होने का प्रमाणपत्र होगा जिससे ऐसा करार किया गया है और ऐसे व्यक्ति से जिसके साथ ऐसा करार किया गया है, ऐसा प्रमाणपत्र अभिप्राप्त करने की बाबत धारा ५१ के उपबंध, जहां तक हो सके, लागू होंगे ।
२) रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी , जिसको उपधारा (१) के अधीन आवेदन किया गया है, धारा ६२ के अधीन प्राप्त विवरणियों का , यदि कोई हों, ऐसा सत्यापन करने के पश्चात् जो वह ठीक समझे, उस यान पर तब से प्रदर्शित और दर्शित किए जाने के लिए धारा ४१ की उपधारा (६) में यथाविनिर्दिष्ट एक रजिस्ट्रीकरण चिहन उस यान को देगा रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र को आवेदक को लौटाने के पूर्व उस पर वह चिहन दर्ज करेगा, और उस रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी के साथ पत्र-व्यवहार करके, जिसके द्वारा वह यान उससे पूर्व रजिस्टर किया गया था, उस यान के रजिस्ट्रीकरण को उस रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी के अभिलेखों से अपने अभिलेखों में अंतरित करा लेने की व्यवस्था करेगा ।
३) जहां मोटर यान अवक्रय या पट्टा या आड्मान करार के अधीन धारित है वहां रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी उस मोटर यान को उपधारा (२) के अधीन रजिस्ट्रीकरण चिहन देने के पश्चात् उस व्यक्ति को, जिसका नाम रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में ऐसे व्यक्ति के रूप में विनिर्दिष्ट है जिसके साथ रजिस्ट्रीकृत स्वामी ने अवक्रय या पट्टा या आड्मान करार किया है, (उक्त रजिस्ट्रीकरण चिहन दिए जाने के तथ्य की जानकारी ऐसे व्यक्ति के उस पते पर जो रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में प्रविष्ट है, रसीदी रजिस्ट्री डाक से ऐसे व्यक्ति को सूचना भेज कर ) देगा ।
४) राज्य सरकार धारा ६५ के अधीन ऐसे नियम बना सकेगी जिनमें उस राज्य में रजिस्टर न किए गए ऐसे मोटर यान के स्वामी से, जो उस राज्य में लाया जाता है या उस समय वहां है, यह अपेक्षा की जाए, कि वह उस राज्य के विहित प्राधिकारी को, उस मोटर यान और उसके रजिस्ट्रीकरण के बारे में ऐसी जानकारी दे, जैसी विहित की जाए ।
५) यदि स्वामी विहित अवधि के भीतर उपधारा (१) अधीन आवेदन करने में असफल रहता है तो रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी, मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, स्वामी से उस कार्रवाई के बदले में जो धारा १७७ के अधीन उसके विरूध्द की जाए, एक सौ रूपए से अनधिक उतनी रकम का, जो उपधारा (७) के अधीन विहित की जाए, संदाय करने की अपेक्षा कर सकेगा :
परन्तु धारा १७७ के अधीन स्वामी के विरूध्द कार्रवाई तभी की जाएगी जब स्वामी उक्त रकम का संदाय करने में असफल रहता है ।
६)जहां स्वामी ने उपधारा (५) के अधीन रकम का संदाय कर दिया है, वहां उसके विरूध्द धारा १७७ के अधीन कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी ।
७)उपधारा (५) के प्रयोजनों के लिए, राज्य सरकार उपधारा (१) के अधीन आवेदन करने में स्वामी की ओर से हुए विलंब की कालवधि को ध्यान में रखते हुए, भिन्न-भिन्न रकमें विहित कर सकेगी ।

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