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Mv act 1988 धारा ३५ : न्यायालय की निरर्हित करने की शक्ति :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ३५ :
न्यायालय की निरर्हित करने की शक्ति :
१) जब कंडक्टर अनुज्ञप्ति को धारण करने वाला कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए दोषसिध्द किया गया है, तब वह न्यायालय, जिसने उसे दोषसिध्द किया है, विधि द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य दंड अधिरोपित करने के अतिरिक्त, उस व्यक्ति को, जो इस प्रकार दोषसिध्द किया गया है, कोई कंडक्टण अनुज्ञप्ति धारण करने से उतनी अवधि के लिए, जितनी वह न्यायालय विनिर्दिष्ट करे, निरर्ह घोषित कर सकेगा ।
२)वह न्यायालय जिसमें इस अधिनियम के अधीन अपराध के लिए हुई किसी दोषसिध्दि की अपील होती है, निचले न्यायालय द्वारा दिए गए निरर्हता के किसी आदेश को अपास्त कर सकेगा या उसमें परिवर्तन कर सकेगा, और वह न्यायालय, जिसमें मामूली तौर पर ऐसे न्यायालय से अपीलें होती हैं, उस न्यायालय द्वारा दिए गए निरर्हता के किसी आदेश को इस बात के होते हुए भी अपास्त कर सकेगा या उसमें परिवर्तन कर सकेगा कि उस दोषसिध्दि के विरूध्द कोई अपील नहीं होती जिसके संबंध में वह आदेश दिया गया था ।

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