मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १७० :
कतिपय मामलों में बीमाकर्ता को पक्षकार बनाया जाना :
जहां जांच के अनुक्रम में दावा अधिकरण का यह समाधान हो जाता है कि-
(a)क) दावा करने वाले व्यक्ति तथा उस व्यक्ति के बीच, जिसके विरूध्द दावा किया गया है, दुरभिसंधि है; या
(b)ख) वह व्यक्ति जिसके विरूध्द दावा किया गया है उस दावे का विरोध करने में असफल रहा है,
वहां वह उन कारणों से, जो लेखबध्द किए जाएंगे, यह निदेश दे सकेगा कि वह बीमाकर्ता,जिस पर ऐसे दावे की बाबत दायित्व है, उस कार्यवाही का पक्षकार बनाया जाए और ऐसे पक्षकार बनाए गए बीमाकर्ता को तब १.(धारा १५०) की उपधारा (२) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना यह अधिकार होगा कि वह उस दावे का विरोध उन सब या किन्हीं आधारों पर करे, जो उस व्यक्ति को प्राप्त है, जिसके विरूध्द दावा किया गया है ।
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५६ द्वारा १.(धारा १४९) शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
