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Mv act 1988 धारा १३२ : कुछ दशाओं में ड्राइवर का रोकने का कर्तव्य :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १३२ :
कुछ दशाओं में ड्राइवर का रोकने का कर्तव्य :
कुछ दशाओं में ड्राइवर उस यान को निम्नलिखित दशाओं में रोकेगा और १.( उसे ऐसे युक्तियुक्त समय तक, जो आवश्यक हो और जो चौबीस घंटे से अधिक न हो, खडा रखेगा ) अर्थात् :-
(a)१(क) वर्दी पहने हुए ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा, जो उपनिरीक्षक की पंक्ति से नीचे का न हो, ऐसा करने की अपेक्षा की जाने पर, यान के किसी व्यक्ति, पशु या अन्य यान के साथ दुर्घटना हो जाने अथवा किसी संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचाने की दशा में, या )
(b)ख) किसी ऐसे पशु के भारसाधक व्यक्ति द्वारा ऐसे करने की अपेक्षा की जाने पर जबकि ऐसे व्यक्ति को आशंका है कि वह पशु नियंत्रण के बाहर हो गया है या यान से डर कर अनियंत्रित हो जाएगा ;या
२.(* * *)
और वह अपना नाम और पता तथा यान के स्वामी का नाम और पता ऐसी किसी दुर्घटना या नुकसान से प्रभावित किसी व्यक्ति को बताएगा जो उसकी मांग करे परंतु यह तब जबकि ऐसी व्यक्ति भी अपना नाम और पता दे ।
२)मोटर यान का ड्राइवर ऐसे व्यक्ति द्वारा मांग की जाने पर जिसने अपना नाम और पता दिया है और यह अभिकथन किया है कि ड्राइवर ने धारा १८४ के अधीन दंडनीय किया है, उस व्यक्ति को अपना नाम और पता देगा ।
३)इस धारा में पशु शब्द से कोई घोडा, ढोर हाथी, ऊंट, गधा, खच्चर, भेड या बकरी अभिप्रेत है ।
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१.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ४० द्वारा प्रतिस्थापित ।
२.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ४० द्वारा लोप किया गया ।

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