Mv act 1988 धारा ८० : परमिटों के लिए आवेदन करने और उन्हें देने के लिए प्रक्रिया :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ८० :
परमिटों के लिए आवेदन करने और उन्हें देने के लिए प्रक्रिया :
१)किसी भी प्रकार के परमिट के लिए आवेदन किसी भी समय किया जा सकेगा।
२)१.(प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण, राज्य परिवहन प्राधिकरण या धारा ६६ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट कोई विहित प्राधिकरण) साधारणत: इस अधिनियम के अधीन किसी भी समय किसी भी प्रकार के परमिट के लिए गए आवेदन को मंजूर करने से इंकार नहीं करेगा:
परन्तु १.(प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण, राज्य परिवहन प्राधिकरण या धारा ६६ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट कोई विहित प्राधिकरण ) कोई आवेदन संक्षिप्तत: नामंजूर कर सकेगा यदि आवेदन के अनुसार किसी परमिट के देने से यह प्रभाव पडेगा कि धारा ७१ की उपधारा (३) के खंड (क) के अधीन राजपत्र में अधिसूचना में नियत और विनिर्दिष्ट मंजिली गाडियों की संख्या में या धारा ७४ की उपधारा (३) के खंड (क) के अधीन राजपत्र में अधिसूचना में नियत और विनिर्दिष्ट ठेका गाडियों की संख्या में वृध्दि होगी :
परन्तु यह और कि जहां १(प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण, राज्य परिवहन प्राधिकरण या धारा ६६ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट कोई विहित प्राधिकरण ) इस अधिनियम के अधीन किसी भी प्रकार के परमिट देने संबंधी आवेदन को नामंजूर कर देता है, वहां वह आवेदक को उसके नामंजूर किए जाने के अपने कारण लिखित रूप में देगा और इस विषय में उसे सुनवाई का अवसर देगा ।
३)किसी ऐसे आवेदन को, जो अस्थायी परमिट से भिन्न किसी परमिट की शर्तों में, कोई नया मार्ग या नए मार्ग या कोई नया क्षेत्र सम्मिलित करके या उसके अंतर्गत आने वाले मार्ग या मार्गों या क्षेत्र का परिवर्तन करके या मंजिली गाडी परमिट की दशा में विनिर्दिष्ट अधिकतम ट्रिपों की संख्या बढा कर या परमिट में विनिर्दिष्ट मार्ग या मार्गो या क्षेत्र में परिवर्तन, विस्तार या कटौती करके परिवर्तन करने के लिए है, नया परमिट दिए जाने का आवेदन माना जाएगा :
परन्तु मंजिली गाडी परमिट के ऐसे धारक द्वारा जो किसी मार्ग पर केवल वहन सेवा उपलब्ध कराता है, यानों की संख्या में कोई वृध्दि किए बिना इस प्रकार उपलब्ध कराई गई सेवा की आवृत्ति में वृध्दि करने के लिए किए गए आवेदन को ऐसा मानना आवश्यक नहीं होगा :
परन्तु यह और कि- १)परिवर्तन की दशा में, टर्मिनस में परिवर्तन नहीं किया जाएगा और परिवर्तन के अंतर्गत आने वली दूरी चौबीस किलोमीटर से अधिक नहीं होगी :
२)विस्तारण की दशा में, विस्तारण के अंतर्गत आने वाली दूरी टमिनस से चौबीस किलोमीटर से अधिक नहीं होंगी,
और ऐसी सीमाओं के भीतर कोई ऐसा परिवर्तन या विस्तारण परिवहन प्राधिकरण का यह समाधान हो जाने के पश्चात् ही किया जाएगा कि ऐसे परिवर्तन से जनता की सुविधाओं की पूर्ति होगी और इस प्रकार परिवर्तित या विस्तारित मूल मार्ग या उसके किसी भाग की बाबत अलग परमिट देना समीचीन नहीं है ।
४)१.(प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण राज्य परिवहन प्राधिकरण या धारा ६६ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट कोई विहित प्राधिकरण) उस तारीख से पूर्व, जो इस निमित्त उस द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए, किसी परमिट के स्थान पर, जो उसके द्वारा उक्त तारीख से पहले दिया गया था, यथास्थिति, धारा ७२ या धारा ७४ या धारा ७६ या धारा ७९ के उपबंधों के अनुरूप नए सिरे से परमिट दे सकेगी और नया परमिट उसी मार्ग या उन्हीं मार्गों अवथा उसी क्षेत्र के लिए विधिमान्य होगा जिसके या जिनके लिए प्रतिस्थापित परमिट विधिमान्य था :
परन्तु परमिट के धारक की लिखित सहमति के बिना, नए परमिट के साथ कोई ऐसी शर्त नहीं लगाई जाएगी जो प्रतिस्थापित परमिट के साथ पहले से लगी हुई शर्त से भिन्न है या उस परमिट के दिए जाने समय प्रवृत्त विधि के अधीन उसके साथ लगाई जा सकती थी ।
५)धारा ८१ में किसी बात के होते हुए भी, उपधारा (४) के उपबंधों के अधीन दिया गया परमिट नवीकरण के बिना ही उस अवधि के शेष भाग के लिए प्रभावी होगा जिसके दौरान प्रतिस्थापित परमिय उस प्रकार प्रभावी रहता ।
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१.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा २५ द्वारा (१४-११-१९९४ से )प्रतिस्थापित ।

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