मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ७१ :
मंजिली-गाडी परमिट के लिए आवेदन पर विचार करने में प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण की प्रक्रिया :
१)प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण मंजिली-गाडी परमिट के लिए आवेदन पर विचार करते समय इस अधिनियम के उद्देश्यों को ध्यान में रखेगा :
१.(* * *)
२) प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण मंजिली-गाडी परमिट मंजूर करने से उस दशा में इंकार करेगा यदि दी गई किसी समय-सारणी से यह प्रतीत होता है कि इस अधिनियम के गति संबंधी उन उपबंधों का, जिस गति से यान चलाए जा सकते है उल्लंघन होने की संभावना है;
परन्तु ऐसे इंकार करने से पूर्व आवेदक को समय-सारणी को ऐसे संशोधित करने का अवसर दिया जाएगा जिससे वह उक्त उपबंधों के अनुकूल हो जाए ।
३) (a)क)राज्य सरकार, यदि केन्द्रीय सरकार द्वारा यानों की संख्या, सडकों की दशा और अन्य सुसंगत बातों का ध्यान रखते हुए, इस प्रकार निर्दिष्ट किया जाए तो, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, राज्य परिवहन प्राधिकरण और प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण को यह निदेश देगी कि वह पांच लाख से अन्यून जनसंख्या वाले शहरों में नगर मार्गों पर प्रचालित होने वाली साधारण मंजिली-गाडी या किसी विनिर्दिष्ट किस्म की मंजिली-गाडी की संख्या को, जो अधिसूचना में नियत और विनिर्दिष्ट की जाए, सीमित करे ।
(b)ख)जहां मंजिली गाडियों की संख्या खंड (क) के अधीन नियत की गई है, वहां राज्य सरकार, राज्य में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए मंजिली गाडी परमिटों का कुछ प्रतिशत उसी अनुपात में, जैसा राज्य में लोक सेवाओं में सीधी भर्ती द्वारा की गई नियुक्तियों के मामले में है, आरक्षित रखेगी।
(c)ग) जहां मंजिली गाडियों की संख्या खंड (क) के अधीन नियत की गई है, वहां प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए परमिटों की ऐसी संख्या, जो उपखंड (ख) के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियत की जाए, आरक्षित रखेगा ।
(d)घ) परमिटों की ऐसी संख्या, जो उपखंड (ग) में निर्दिष्ट है, आरक्षित रखने के पश्चात् प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण, किसी आवेदन पर विचार करने में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेगा, अर्थात् :-
१)आवेदक का वित्तीय स्थायित्व ;
२) मंजिली-गाडी प्रचालक के रूप में समाधानप्रद कार्य जिसके अंतर्गत कर का संदाय भी है, यदि आवेदक मंजिली गाडी सेवा का प्रचालक है या रहा है; और
३)ऐसे अन्य विषय जो राज्य सरकार द्वारा विहित किए जाएं :
परन्तु अन्य शर्तो के समान रहने पर,परमिटों के लिए निम्नलिखित से प्राप्त आवेदनों को अधिमान दिया जाएगा –
१)राज्य परिवहन उपक्रम ;
२)सहकारी सोसाइटियां जो तत्समय प्रवृत्त किसी अधिनियमिति के अधीन रजिस्ट्रीकृत हैं या रजिस्ट्रीकृत समझी गई हैं, १***
३)भूतपूर्व सैनिक; २(या)
२.(४) व्यक्तियों का कोई अन्य वर्ग या प्रवर्ग जिसे राज्य सरकार, ऐसे कारणों से जो लेखबध्द किए जाएंगे, आवश्यक समझे ।)
१.(* * *)
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए कंपनी से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है , और इसके अंतर्गत कोई फर्म या अन्य व्यष्टि संगम भी है, और निदेशक से फर्म के संबंध में, फर्म का कोई भागीदार अभिप्रेत है ।
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१.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा २३ द्वारा लोप किया गया ।
२.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा २३ द्वारा (१४-११-१९९४ से ) अंत:स्थापित ।