मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ४१ :
रजिस्ट्रीकरण कैसे होना है :
१) मोटर यान के स्वामी द्वारा या उसकी और से रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन ऐसे प्ररूप में होगा और उसके साथ ऐसी द्स्तावेजें, विशिष्टियां और जानकारी दी हुई होंगी और वह ऐसी अवधि के भीतर किया जाएगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं :
परन्तु जहां मोटर यान संयुक्त रुप से एक से अधिक व्यक्तियों के स्वामित्वाधीन है, वहां आवेदन सभी स्वामियों की ओर से एक स्वामी द्वारा किया जाएगा और इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए ऐसे आवेदक को ऐसे मोटर यान का स्वामी समझा जाएगा :
१.(परंतु यह और कि नए मोटर यान की दशा में राज्य में रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन ऐसे मोटर यान के डीलर द्वारा किया जाएगा, यदि नए मोटर यान को उसी राज्य में रजिस्ट्रीकृत किया जा रहा है जिसमें डीलर अवस्थित है ।)
२)उपधारा (१) में निर्दिष्ट आवेदन के साथ ऐसी फीस होगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।
३)रजिस्ट्रीकृर्तां प्राधिकारी २.(स्वामी के नाम से एक रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र ) ऐसे प्ररूप में देगा और उसमें ऐसी विशिष्टियां और जानकारी दी हुई होंगी और वह ऐसी रीति में होगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।
४)रजिस्ट्रीकरण के प्रमाणपत्र में सम्मिलित की जाने के लिए अपेक्षित अन्य विशिष्टियों के अतिरिक्त, वह उस मोटर यान का प्रकार भी विनिर्दिष्ट करेगा जो ऐसे प्रकार का है जिसे केन्द्रीय सरकार, मोटर यान के डिजाइन, निर्माण और उपयोग को ध्यान में रखते हुए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे ।
५) रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी उपधारा (३) में निर्दिष्ट प्रमाणपत्र की विशिष्टियां एक रजिस्टर में प्रविष्ट करेगा जिसे ऐसे प्ररूप और रीति में रखा जाएगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।
६) रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी उस यान में प्रदर्शित किए जाने के लिए उस यान को (इस अधिनियम में रजिस्ट्रीकरण चिहन के रूप में निर्दिष्ट) एक पहचान चिहन देगा जो ऐसे अक्षर समूहों में से किसी एक समूह से मिलकर बनेगा और उसके पश्चात् ऐसे अक्षर और अंक होंगे जो केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा उस राज्य के समय-समय पर आबंटित करती है, और मोटर यान पर ऐसे प्ररूप और ऐसी रीति में प्रदशिॅत किया जाएगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए :
३.(परंतु नए मोटर यान की दशा में, जिसके लिए रजिस्ट्रीकरण का आवेदन उपधारा (१) के दूसरे परंतुक के अधीन किया गया है, ऐसे मोटर यान का उसके स्वामी को तब तक परिदान नहीं किया जाएगा जब तक ऐसा रजिस्ट्रीकरण चिन्ह मोटर यान पर ऐसे प्ररुप और ऐसी रीति में, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित किया जाए, प्रदर्शित नहीं कर दिया जाता है ।)
७) इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व या पश्चात ४.(***) मोटर यान के बारे में उपधारा (३) के अधीन दिया गया रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र, इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए ऐसे प्रमाणपत्र के दिए जाने की तारीख से ५.(या ऐसी अवधि के लिए, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए) केवल पंद्रह वर्ष की अवधि तक विधिमान्य रहेगा और उसका नवीकरण किया जा सकेगा ।
८) ४.(***) मोटर यान के स्वामी द्वारा या उसकी ओर से रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र के नवीकरण के लिए आवेदन ऐसी अवधि के भीतर और ऐसे प्ररूप में किया जाएगा और उसमें ऐसी विशिष्टियां और जानकारी होंगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।
९) उपधारा (८) में निर्दिष्ट आवेदन के साथ ऐसी फीस होगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।
१०) धारा ५६ के उपबंधों के अधीन रहते हुए, रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी उपधारा (८) के अधीन आवेदन प्राप्त करने पर, रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र का नवीकरण ६.(ऐसी अवधि, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए) कर सकेगा और उस तथ्य की सूचना, यदि वह मूल रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी नहीं है तो मूल रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी को देगा :
७.(परंतु के्रंद्रीय सरकार विभिन्न किस्म के यानों के लिए नवीकरण की विभिन्न अवधि विहित कर सकेगा ।)
८.(***)
१४) रजिस्ट्रीकरण का दूसरा प्रमाणपत्र दिए जाने के लिए आवेदन ९.(अंतिम रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी) को ऐसे प्ररूप में किया जाएगा और उसमें ऐसी विशिष्टियां और जानकारी होंगी और उसके साथ ऐसी फीस होगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा १७ द्वारा परंतुक (परन्तु जहां मोटर यान संयुक्त रूप से एक से अधिक व्यक्तियों के स्वामित्वाधीन है, वहां आवेदन सभी स्वामियों की ओर एक स्वामी द्वारा किया जाएगा और इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए ऐसे आवेदक को ऐसे मोटर यान का स्वामी समझा जाएगा ।) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा १७ द्वारा उस मोटर यान के, जिसे उसने रजिस्टर किया हो, स्वामी को, एक रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा १७ द्वारा परंतुक अंत:स्थापित ।
४. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा १७ द्वारा परिवहन यान से भिन्न शब्दों का लोप किया गया ।
५. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा १७ द्वारा अंत:स्थापित ।
६. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा १७ द्वारा पांच वर्षे की अवधि के लिए शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
७. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा १७ द्वारा परंतुक अंत:स्थापित ।
८. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा १७ द्वारा उपधारा (११) यदि स्वामी, यथास्थिति, उपधारा (१) या उपधारा (८) के अधीन आवेदन विहित कालावधि के भीतर करने में असफल रहता है, तो रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी, मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, स्वामी से, उस कार्रवाई के बदले जो धारा १७७ के अधीन उसके विरूध्द की जाए, एक सौ रूपए से अनधिक उतनी रकम का जो उपधारा (१३) के अधीन विहित की जाए, संदाय करने की अपेक्षा कर सकेगा :
परन्तु धारा १७७ के अधीन कार्रवाई स्वामी के विरूध्द तब की जाएगी जब स्वामी उक्त रकम का संदाय करने में असफल रहा हो ।
१२) जहां स्वामी ने उपधारा (११) के अधीन रकम का संदाय कर दिया हो, वहां धारा १७७ के अधीन कोई कार्रवाई उसके विरूध्द नहीं की जाएगी ।
१३) उपधारा (११) के प्रयोजनों के लिए, राज्य सरकार उपधारा (१) या उपधारा (६) के अधीन आवेदन करने में स्वामी की ओर हुए विलंब की अवधि को ध्यान में रखते हुए भिन्न-भिन्न रकमें विहित कर सकेगी ।) का लोप किया गया ।
९.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ११ द्वारा (१४-११-१९९४ से ) प्रतिस्थापित ।