Mv act 1988 धारा ३४ : अनुज्ञापन प्राधिकारी की निरर्हित करने की शक्ति :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ३४ :
अनुज्ञापन प्राधिकारी की निरर्हित करने की शक्ति :
१)यदि किसी अनुज्ञापन प्राधिकारी की यह राय है कि कंडक्टर के रूप में किसी कंडक्टर अनुज्ञप्ति के धारक के पूर्वाचरण के कारण यह आवश्यक है कि उसे कंडक्टर अनुज्ञप्ति धारण करने अथवा अभिप्राप्त करने से निरर्हित कर दिया जाए तो वह ऐसे कारणों से, जो लेखबध्द किए जाएंगे, उस व्यक्ति को कंडक्टण अनुज्ञप्ति धारण करने या अभिप्राप्त करने से किसी विनिर्दिष्ट अवधि के लिए, जो एक वर्ष से अधिक न होगी, निरर्हित करने का आदेश दे सकेगा :
परन्तु अनुज्ञप्ति के धारक को निरर्हित करने के पूर्व, अनुज्ञापन प्राधिकारी ऐसी अनुज्ञप्ति धारण करने वाले व्यक्ति को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देगा ।
२)ऐसे किसी आदेश के दिए जाने पर, यदि कंडक्टर अनुज्ञप्ति के धारक द्वारा उस कंडक्टर अनुज्ञप्ति का पहले ही अभ्यर्पण नहीं कर दिया गया है तो वह उसे उस अनुज्ञापन प्राधिकारी को तुरंत अभ्यर्पित कर देगा, जिसने वह आदेश दिया है और वह प्राधिकारी उस अनुज्ञप्ति को तब तक अपने पास रखे रहेगा जब तक निरर्हता समाप्त नहीं हो जाती या हटा नहीं दी जाती ।
३)जब कंडक्टर अनुज्ञप्ति के धारक को इस धारा के अधीन निरर्हित करने वाला प्राधिकारी वह प्राधिकारी नहीं है जिसने अनुज्ञप्ति दी थी, तब वह कंडक्टर अनुज्ञप्ति देने वाले प्राधिकारी को ऐसी निरर्हता के तथ्य की सूचना देगा ।
४)उपधारा (१) के अधीन दिए गए आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, अपने पर आदेश की तामील होने के तीस दिन के भीतर, विहित प्राधिकारी को अपील कर सकेगा, जो ऐसे व्यक्ति और उस प्राधिकारी को, जिसने आदेश दिया है, सुनवाई का अवसर देने के पश्चात् अपील का विनिश्चय करेगा और अपील प्राधिकारी का विनिश्चय, उस प्राधिकारी पर आबध्दकर होगा, जिसने वह आदेश दिया था ।

Leave a Reply