मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा २१२ :
नियमों और अधिसूचनाओं का प्रकाशन, प्रारंभ और रखश जाना :
१) इस अधिनियम के अधीन नियम बनाने की शक्ति इस शर्त के अधीन है कि नियम पूर्व प्रकाशन के पश्चात् बनाए जाएंगे ।
२)इस अधिनियम के अधीन बनाए गए सभी नियम राजपत्र में प्रकाशित किए जाएंगे और जब तक कि कोई पश्चात्वर्ती तारीख नियत न की गई हो, ऐसे प्रकाशन की तारीख को प्रवृत्त हो जाएंगे ।
३)किसी राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथासंभव शीघ्र राज्य विधान-मण्डल के समक्ष रखश जाएगा ।
४)इस अधिनियम के अधीन केंद्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, धारा ७५ की उपधारा (१) और धारा १६३ की उपधारा (१) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाई गई प्रत्येक स्कीम और धारा ४१ की उपधारा (४) धारा ५८ की उपधारा (१) धारा ५९ की उपधारा (१); धारा ११२ की उपधारा (१) के परन्तुक, १.(धारा ११८), २.(धारा १६३क की उपधारा (४)), ३.(धारा १७७क) और धारा २१३ की उपधारा (४) के अधीन केंद्रीय सरकार द्वारा निकाली गई प्रत्येक अधिसूचना बनाए जाने या निकाली जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखी जाएगी । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम, स्कीम, या अधिसूचना में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा या स्कीम, या अधिसूचना में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा या होगी । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहंीं बनाया जाना चाहिए या वह स्कीम नहीं बनाई जानी चाहिए या वह धिसूचना नहीं निकाली जानी चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा या हो जाएगी । किन्तु नियम, स्कीम या अधिसूचना के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा ।
४.(५) धारा २१०क के अधीन राज्य सरकार द्वारा जारी की गई प्रत्येक अधिसूचना राज्य विधानमंडल के प्रत्येक सदन के समक्ष इसके बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र रखी जाएगी जहां यह राज्य विधानमंडल दो सदनों से मिलकर बना है या जहां ऐसा विधानमंडल एक सदन से मिलकर बना है वहां उस सदन के समक्ष जब वह सत्र में हो तीस दिन की कुल अवधि के लिए, रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा एक सत्र या दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व यथास्थिति सदन या दोनों सदन उस अधिसूचना का तत्पश्चात् यथास्थिति ऐसे परिवर्तित रुप में ही प्रभाव होगा या प्रभावहीन हो जाएगी, यथास्थिति ऐसा उपांतरण या बातलीकरण इस अधिसूचना के अधीन पूर्व में की गई किसी बात की विधिमान्यता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ९१ द्वारा (धारा ११२ की उपधारा (१) के परंतुक) शब्दों के पश्चात अंत:स्थापित ।
२. १९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ६२ द्वारा अंत:स्थापित ।
३. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ९१ द्वारा (धारा १६३क की उपधारा (४)) शब्दों के पश्चात अंत:स्थापित ।
४. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ९१ द्वारा उपधारा (४) के पश्चात अंत:स्थापित ।