मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १६६ :
प्रतिकर के लिए आवेदन :
१)धारा १६५ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट प्रकार की दुर्घटना से उद्भूत प्रतिकर के लिए आवेदन निम्नलिखित द्वारा किया जा सकेगा, अर्थात् :-
(a)क) उस व्यक्ति द्वारा, जिसे क्षति हुई है; या
(b)ख) संपत्ति के स्वामी द्वारा ;या
(c)ग) जब दुर्घटना के परिणामस्वरूप मृत्यु हुई है, तब मृतक के सभी या किसी विधिक प्रतिनिधि द्वारा; या
(d)घ) जिस व्यक्ति को क्षति पहुंची है उसके द्वारा अथवा सम्यक् रूप से प्राधिकृत किसी अभिकर्ता द्वारा अथवा मृतक के सभी या किसी विधि प्रतिनिधि द्वारा:
परंतु जहां प्रतिकर के लिए किसी आवेदन में मृतक के सभी विधिक प्रतिनिधि सम्मिलित नहीं हुए हैं वहां वह आवेदन मृतक के सभी विधिक प्रतिनिधियों की ओर से या उनके फायदे के लिए किया जाएगा और जो विधिक प्रतिनिधि ऐसे सम्मिलित नहीं हुए हैं उन्हें आवेदन के प्रत्यर्थियों के रूप में पक्षकार बनाया जाएगा :
१.(परंतु यह और कि जहां कोई व्यक्ति धारा १४९ के अधीन उपबंधित प्रक्रिया के अनुसार धारा १६४ के अधीन प्रतिकर स्वीकार करता है, वहां दावा अधिकरण के समक्ष उसकी दावा याचिका व्यपगत हो जाएगी ।)
२.(२) उपधारा (१) के अधीन प्रत्येक आवेदन, दावाकर्ता के विकल्प पर, उस दावा अधिकरण को जिसकी उस क्षेत्र पर अधिकारिता थी जिसमें दुर्घटना हुई है, अथवा उस दावा अधिकरण को जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर दावाकर्ता निवास करता है या कारबार करता है अथवा जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर प्रतिवादी निवास करता है, किया जाएगा और वह ऐसे प्रारूप में होगा और उसमें ऐसी विशिष्टियां होंगी जो विहित की जाएंŸ।
३.(***))
४.(३) प्रतिकर के लिए कोई आवेदन तब तक ग्रहण नहीं किया जाएगा जब तक कि उसे दुर्घटना के होने से छह मास के भीतर प्रस्तुत न किया गया हो ।)
५.(४) दावा अधिकरण, ६.(धारा १५९) के अधीन उसको भेजी गई दुर्घटनाओं की किसी रिपोर्ट को इस अधिनियम के अधीन प्रतिकर के लिए आवेदन के रूप में मानेगा । )
७.(५) इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, किसी दुर्घटना में क्षति के लिए प्रतिकर का दावा करने वाले व्यक्ति का अधिकार, जिस व्यक्ति को क्षति पहुंची है, उसकी मृत्यु का कारण क्षति वाले अन्तर्संबंध से संबंधित है या नहीं या इसका उसके साथ कोई अन्तर्संबंध था या नहीं, विद्यमान होगा ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५३ द्वारा अन्त:स्थापित ।
२.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ५३ द्वारा प्रतिस्थापित ।
३. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५३ द्वारा परंतुक का लोप किया गया ।
४. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५३ द्वारा अन्त:स्थापित ।
५. १९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ५३ द्वारा प्रतिस्थापित ।
६. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५३ द्वारा प्रतिस्थापित ।
७. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५३ द्वारा अन्त:स्थापित ।