Mv act 1988 धारा १६४ग : १. (केंद्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १६४ग :
१. (केंद्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति :
१) केंद्रीय सरकार इस अध्याय के उपबंधों को प्रभावी करने के प्रयोजनों के लिए नियम बना सकेगी ।
२) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित के लिए उपबंध कर सकेंगे :-
(a)क) इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने वाले प्ररुप,-
एक) बीमा पालिसी का प्ररुप और वे विशिष्टियां, जो धारा १४७ की उपधारा (३) में यथा निर्दिष्ट रुप ेमं उसमें अंतर्विष्ट होंगी;
दो) धारा १५७ की उपधारा (२) के अधीन बीमा प्रमाणपत्र में अंतरण के तथ्य के संबंध में परिवर्तन करने के लिए प्ररुप ;
तीन) वह प्ररुप, जिसमें दुर्घटना की जानकारी संबंधी रिपोर्ट तैयार की जा सकेगी, वे विशिष्टियां, जो उनमें अंतर्विष्ट होंगी, धारा १५९ की उपधारा (१) के अधीन उस रिपोर्ट को दावा अधिकरण या किसी अन्य अभिकरण के सामने प्रस्तुत करने की रीति और समय;
चार) धारा १६० के अधीन सूचना प्रस्तुत करने के लिए प्ररुप;
पांच) धारा १६४ख की उपधारा (७) के अधीन मोटर यान दुर्घटना निधि के लिए लेखाओं के वार्षिक विवरण का प्ररुप;
(b)ख) बीमा प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन करना तथा उन्हें जारी करना;
(c)ग) गुमशुदा, विनष्ट या विकृत बीमा प्रमाणपत्रों को बदलने के लिए दूसरी प्रति जारी करना;
(d)घ) बीमा प्रमाणपत्रों की अभिरक्षा, प्रस्तुतिकरण निरस्तीकरण और अभ्यर्पण;
(e)ङ) इस अध्याय के अधीन जारी बीमा पालिसियों के बीमाकर्ताओं द्वारा अभिलेखों का रखा जाना;
(f)च) इस अध्याय के उपबंधों से छूट प्राप्त व्यक्तियों या यानों की प्रमाणपत्रों या अन्यथा द्वारा पहचान;
(g)छ) बीमाकर्ताओं द्वारा बीमा की पालिसियों के संबंध में जानकारी देना;
(h)ज) केवल अस्थायी रुप से रुकने वाले व्यक्तियों द्वारा भारत में लाए गए यानों को व्यतिकारी देश में रजिस्ट्रीकृत यानों के लिए और विहित उपांतरणों सहित इन उपबंधों को लागू करके भारत में किसी मार्ग पर या किसी क्षेत्र में प्रचालित करने के लिए इस अध्याय के उपबंधों को अंगीकार करना ;
(i)झ) वे अपेक्षाएं, जिनके संबंध में किसी बीमा प्रमाणपत्र से धारा १४५ के खंड (ख) में यथा निर्दिष्ट किए गए अनुसार अनुपालन करने की अपेक्षा की जाती है;
(j)ञ) धारा १४६ की उपधारा (३) के अधीन स्थापित निधि का प्रशासन;
(k)ट) धारा १४७ की उपधारा (२) के अधीन न्यूनतम प्रीमियम और बीमाकर्ता का अधिकतम दायित्व;
(l)ठ) वे शर्ते, जिनके अधीन रहते हुए कोई बीमा पालिसी जारी की जाएगी और धारा १४७ की उपधारा (३) में यथा निर्दिष्ट उससे संबंधित अन्य विषय;
(m)ड) धारा १४९ की उपधारा (२) के अधीन समझौते के ब्यौरे, ऐसे समझौते की समय-सीमा और उसकी प्रक्रिया;
(n)ढ) धारा १५८ की उपधारा (३) के परंतुक के अधीन छूटों और उपांतरणों का विस्तार;
(o)ण) धारा १५८ की उपधार (५) के अधीन अन्य साक्ष्य;
(p)त) ऐसा अन्य अभिकरण, जिसको धारा १५९ में यथानिर्दिष्ट दुर्घटना सूचना संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकेगी;
(q)थ) धारा १६० के अधीन सूचना प्रस्तुत करने के लिए समय-सीमा और फीस;
(r)द) धारा १६१ की उपधारा (२) के खंड (क) के अधीन मृत्यु के संबंध में प्रतिकर की उच्चतर रकम;
(s)ध) धारा १६१ की उपधारा (४) के खंड (क) में यथा निर्दिष्ट अंतरिम अनुतोष के रुप में संदत्त की जाने वाली राशि;
(t)न) धारा १६४ की उपधारा (१) के अधीन प्रतिकर के संदाय के लिए प्रक्रिया;
(u)प) ऐसे अन्य स्रोत, जिनसे धारा १६४क की उपधारा (२) में यथा निर्दिष्ट स्कीम के लिए निधियां वसूल की जा सकेंगी;
(v)फ) किसी अन्य स्रोत से कोई आय, जिसे धारा १६४ख की उपधारा (१) के अधीन मोटर यान दुर्घटना निधि में जमा किया जाएगा;
(w)ब) वे व्यक्ति, जिनको धारा १६४ख की उपधारा (३) के खंड (घ) के अधीन प्रतिकर का संदाय किया जा सकेगा;
(x)भ) धारा १६४ख की उपधारा (४) के अधीन दायित्व की अधिकतम रकम;
(y)म) धारा १६४ख की उपधारा (६) के खंड (ग) के अधीन अन्य मानदंड;
(z)य) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाना है या विहित किया जाए या जिसके संबंध में नियमों द्वारा उपबंध बनाए जाने हैं ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५१ द्वारा अध्याय ११ प्रतिस्थापित ।

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