Mv act 1988 धारा १२ : मोटर यानों के चलाने की शिक्षा देने के लिए विद्यालयों या स्थापनों का अनुज्ञापन और विनियमन :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १२ :
मोटर यानों के चलाने की शिक्षा देने के लिए विद्यालयों या स्थापनों का अनुज्ञापन और विनियमन :
१) केन्द्रीय सरकार, मोटर यानों के चलाने और उससे संबंधित विषयों में शिक्षा देने के लिए विद्यालयों या स्थापनों के (चाहे वे किसी भी नाम से ज्ञात हों ) राज्य सरकारों द्वारा अनुज्ञापन और विनियमन के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी ।
२)विशिष्टत: और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात् :-
(a)क) ऐसे विद्यालयों या स्थापनों का अनुज्ञापन जिसके अन्तर्गत ऐसी अनुज्ञप्तियों का दिया जाना, नवीकरण और प्रतिसंहरण भी है ;
(b)ख) ऐसे विद्यालयों या स्थापनों का पर्यवेक्षण ;
(c)ग) आवेदन का प्ररूप और अनुज्ञप्ति का प्ररूप और वे विशिष्टियां, जो उसमें अन्तर्विष्ट होंगी ;
(d)घ) वह फीस जो ऐसी अनुज्ञप्तियों के लिए आवेदन के साथ दी जाएगी ;
(e)ड) वे शर्ते जिनके अधीन रहते हुए ऐसी अनुज्ञप्तियां दी जा सकेगी ;
(f)च) ऐसी अनुज्ञप्तियों के दिए जाने या नवीकरण से इंकार किए जाने के आदेशों के विरूध्द अपीलें और ऐसी अनुज्ञप्तियों का प्रतिसंहरण करने वाले आदेशों के विरूध्द अपीलें ;
(g)छ) वे शर्ते जिनके अधीन रहते हुए कोई व्यक्ति मोटर यानों के चलाने में शिक्षा देने के लिए किसी ऐसे विद्यालय या स्थापन की स्थापना और उसका अनुरक्षण कर सकेगा ;
(h)ज) किसी मोटर यान के चालन में दक्षतापूर्ण शिक्षा के लिए पाठयक्रम या पाठयक्रमों की प्रकृति, पाठयविवरण और अवधि;
(i)झ) ऐसी शिक्षा देने के प्रयोजन के लिए अपेक्षित साधित्र और उपस्कर (जिनके अंतर्गत दोहरे नियंत्रण से युक्त मोटर यान उपस्कर भी हैं )
(j)ञ) ऐसे परिसरों की उपयुक्तता जिनमें ऐसे विद्यालयों या स्थापनों की स्थापना या अनुरक्षण किया जा सकेगा और वे सुविधाएं जो उनमें दी जाएंगी ;
(k)ट) शैक्षिक और वृत्तिक दोनों अर्हताएं (जिसके अंतर्गत अनुभव भी है) जो मोटर यान चलाने की शिक्षा देने वाले व्यक्ति के पास होनी चाहिए;
(l)ठ) ऐसे विद्यालयों और स्थापनों का निरीक्षण (जिसके अंतर्गत उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाएं और ऐसी शिक्षा देने के लिए उनके द्वारा रखे गए साधित्र, उपस्कर और मोटर यान भी हैं );
(m)ड) ऐसे विद्यालयों या स्थापनों द्वारा अभिलेखों का रखा जाना ;
(n)ढ) ऐसे विद्यालयों या स्थापनों का वित्तीय स्थायित्व;
(o)ण) चालन प्रमाणपत्र, यदि कोई हो, जो ऐसे विद्यालयों या स्थापनों द्वारा दिए जाएंगे और वह प्ररूप जिसमें ऐसे चालन प्रमाणपत्र दिए जाएंगे और वे अपेक्षाएं जिनका ऐसे प्रमाणपत्र देने के प्रयोजनों के लिए अनुपालन किया जाएगा;
(p)त) ऐसे अन्य विषय जो इस धारा के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए आवश्यक हों ।
३)जहां केन्द्रीय सरकार का समाधान हो जाता है कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, वहां वह इस निमित्त बनाए गए नियमों द्वारा, साधारणतया या तो आत्यंतिक रूप से या ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो नियमों में विनिर्दिष्ट की जाए, मोटर यान के चालन में या उससे सम्बन्धित विषयों में शिक्षा देने वाले किसी वर्ग के विद्यालयो या स्थापनों को इस धारा के उपबंधों से छुट दे सकेगी ।
४) इस अधिनियम के प्रारंभ के ठीक पूर्व मोटर यानों के चालन या उससे संबंधित विषयों में शिक्षा देने वाला कोई विद्यालय या स्थापन, चाहे वह अनुज्ञप्ति के अधीन हो अथवा न हो, ऐसे प्रारंभ से एक मास की अवधि तक इस अधिनियम के अधीन दी जाने वाली अनुज्ञप्ति के बिना ऐसी शिक्षा देना चालू रख सकेगा और यदि उसने एक मास की उक्त अवधि के भीतर इस अधिनियम के अधीन ऐसी अनुज्ञप्ति के लिए कोई आवेदन किया है और ऐसा आवेदन विहित प्ररूप में है, उसमें विहित विशिष्टियां दी गई हैं और उसके साथ विहित फीस है, तो अनुज्ञापन प्राधिकारी द्वारा ऐसे आवेदन के निपटाए जाने तक ऐसी शिक्षा देना चालू रख सकेगा ।
१.(५) किसी अन्य उपबंध में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी जहां किसी स्कूल या स्थापन को तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित निकाय द्वारा प्रत्यायन प्रदान किया गया है, कोई व्यक्ति, जिसने ऐसे स्कूल या स्थापन में सफलतापूर्वक कोई प्रशिक्षण माड्यूल पूरा कर लिया है, जिसके अंतर्गत कोई विशिष्ट किस्म का मोटर यान आता है, वह ऐसी किस्म में मोटर यान के लिए चालन अनुज्ञप्ति अभिप्राप्त करने के लिए पात्र होगा ।
६) उपधारा (५) में निर्दिष्ट प्रशिक्षण माड्यूल और धारा ९ की उपधारा (५) में निर्दिष्ट उपचारी चालक प्रशिक्षणचर्या का पाठ्यक्रम वह होगा, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित किया जाए और केंद्रीय सरकार ऐसे स्कूलों या स्थापनों के विनियमन के लिए नियम बना सकेगी ।)
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१. २०१९ का ३२ धारा ८ द्वारा धारा ४ के पश्चात् प्रतिस्थापित ।

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