मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १२७ :
सार्वजनिक स्थान पर परित्यक्त या अकेला छोडे गए मोटर यानों का हटाया जाना :
१.(१) जहां कोई मोटर यान किसी सार्वजनिक स्थान पर दस घंटे या उससे अधिक तक परित्यक्त या अकोला छोड दिया जाता है अथवा किसी ऐसे स्थान पर खडा किया जाता है जहां ऐसा खडा किया जाना विधिक रूप से प्रतिषिध्द है वहां अधिकारिता प्राप्त वर्दी पहने हुए पुलिस अधिकारी, यान अनुकर्षण सेवा द्वारा उसके हटाने को अथवा किसी अन्य साधन द्वारा, जिसके अंतर्गत पहिया क्लैम्पन है, उसकी निश्चलता को प्राधिकृत कर सकेगा ।)
२) जहां कोई परित्यक्त, अकेला छोडा गया, टूटा हुआ, जला हुआ या आंशिक रूप से खुला हुआ यान, १.(सार्वजनिक स्थान ) के संबंध में, उसकी स्थिति के कारण, यातायात संकट उत्पन्न कर रहा है अथवा उसकी विद्यमानता यातायात में बाधा उत्पन्न कर रही है वहां अधिकारिता प्राप्त पुलिस अधिकारी द्वारा उसको यान अनुकर्षण सेवा द्वारा १.(सार्वजनिक स्थान ) से तुरंत हटाने के लिए प्राधिकृत किया जा सकता है ।
३)जहां कोर्ई यान उपधारा (१) या उपधारा (२) के अधीन किसी पुलिस अधिकारी द्वारा हटाए जाने के लिए प्राधिकृत किया जाता है, वहां यान का स्वामी सभी अनुकर्षण खर्चो तथा उसके अतिरिक्त किसी अन्य शास्ति के लिए भी उत्तरदायी होगा ।
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१.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ३७ द्वारा प्रतिस्थापित ।