मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १११ :
राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति :
१) कोई राज्य सरकार, मोटर यानों और ट्रेलरों के निर्माण, उपस्कर और अनुरक्षण का विनियमन करने के लिए धारा ११० की उपधारा (१) में विनिर्दिेष्ट बातों से भिन्न सभी बातों की बाबत नियम बना सकेगी ।
२)पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस धारा के अधीन या तो साधारणतया मोटर यानों या ट्रेलरों की बाबत या किसी विशिष्ट वग या वर्णन के मोटर यानों या ट्रेलरों की बाबत या विशिष्ट परिस्थितियों में निम्नलिखित सभी बातों या उनमें से किसी के बारे में नियम बनाए जा सकेंगे,अर्थात् :-
(a)क) सार्वजनिक सेवा यानों में बैठने की व्यवस्था और मौसम से यात्रियों का संरक्षण;
(b)ख) कुछ समय पर या कुछ स्थानों में सुनाई देने वाले संकेतकों के प्रयोग का प्रतिषेध या निर्बन्धन;
(c)ग) ऐसे साधित्रों का ले जाया जाना, प्रतिषिध्द करना जिनसे क्षोभ या खतरा होने की संभावना है ;
(d)घ) प्राधिकारियों द्वारा यानों का नियतकालिक परीक्षण और निरीक्षण १.(और ऐसे परीक्षण के लिए प्रभारित की जाने वाली फीस; )
(e)ड) रजिस्ट्रीकरण चिहनों से भिन्न विशिष्टियां जो यानों पर प्रदर्शित की जानी हैं और वह रीति जिससे वे प्रदर्शित की जाएंगी :
(f)च) मोटर यानों के साथ ट्रेलरों का उपयोग ; और
२.(* * *)
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१.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ३३ द्वारा अंत:स्थापित ।
२.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ३३ द्वारा लोप किया गया ।