Mv act 1988 धारा ११० : केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ११० :
केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति :
१) केन्द्रीय सरकार मोटर यानों और ट्रेलरों के निर्माण, उपस्कर और अनुरक्षण का विनियमन करने के लिए निम्नलिखित सभी बातों या उनमें से किसी की बाबत नियम बना सकेगी, अर्थात् :-
(a)क) यानों की और ले जाए जाने वाले भार की चौडाई, ऊंचाई, लम्बाई और प्रलंब;
(b)१.(ख) टायरों का आकार, प्रकार, अधिकतम खुदरा कीमत और हालत जिसके अन्तर्गत (विनिर्माण की तारीख और वर्ष का उस पर समुद्भृत किया जाना है और अधिकतम भार वहन क्षमता;))
(c)ग) ब्रेक और स्टीयरिंग गियर;
(d)घ) सुरक्षा कांच का प्रयोग, जिसके अंतर्गत कलईदार सुरक्षा कांच के प्रयोग का प्रतिषेध है;
(e)ड) संकेतन- साधित्र, लैम्प और परावर्तक;
(f)च) गति नियंत्रक;
(g)छ) धुएं, दिखाई देने वाली भाप, चिन्गारी, राख, बाल-कण या तेल का उत्सर्जन;
(h)ज) यानों से निकलने वाली या होने वाली आवाज को घटाना;
(i)झ) चेसिस संख्यांक तथा इंजन संख्यांक और विनिर्माण की तारीख का उत्कीर्ण होना ;
(j)ञ) सुरक्षा पट्टियां, मोटर साइकिलों की हैंडिल श्लाका, ऑटो-डिपर और ड्राइवरों , यात्रियों और सडक का उपयोग करने वाले अन्य व्यक्तियों के लिए आवश्यक अन्य उपस्कर;
(k)ट) यान में अन्त:निर्मित सुरक्षा युक्तियों के रूप में प्रयुक्त संघटकों के मानक २.(जिसके अंतर्गत साफ्टवेयर है);
(l)ठ) मानव जीवन के लिए खतरनाक या परिसंकटमय प्रकृति के माल के परिवहन के लिए उपबंध;
(m)ड) वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन के लिए मानक;
(n)१.(ढ) विहित किए जाने वाले यानों के वर्ग में उत्प्रेरक परिवर्तन का लगाया जाना;
(o)ण) सार्वजनिक यानों में दृश्य, श्रव्य या रेडियों या टेपरिकार्डर जैसी युक्तियों का लगाया जाना;
(p)त) यान के विक्रय के पश्चात् वारंटी और उसके लिए मानक 🙂
परन्तु पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित विषयों के संबंध में कोई नियम; जहां तक हो सके, भारत सरकार के पर्यावरण से संबंधित मंत्रालय से परामर्श करने के पश्चात् बनाए जाएंगे ।
२)उपधारा (१) के अधीन उसमें वर्णित बातों को शासित करने वाले नियम बनाए जा सकेंगे जिनके अन्तर्गत ऐसी बातों का अनुपालन सुनिश्चित कराने की रीति और ऐसी बातों की बाबत या तो साधारणतया मोटर यानों या ट्रेलरों की बाबत या किसी विशिष्ट वर्ग या विशिष्ट परिस्थितियों में ३.(और ऐसे नियम अन्वेषण की प्रक्रिया, ऐसा अन्वेषण संचालित करने के लिए सशक्त अधिकारी ऐसे विषयों की सुनवाई के लिए प्रक्रिया तथा उनके तदधीन उदगृहित की जाने वाली शास्तियां) मोटर यानों या ट्रेलरों की बाबत मोटर यानों के अनुरक्षण भी हैं ।
४.(२क) उपधारा (२) में निर्दिष्ट अन्वेषणों के संचालन के लिए उपधारा (२) के अधीन सशक्त व्यक्तियों को सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ के अधीन निम्नलिखित विषयों के संबंध में सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी, अर्थात् :-
(a)क) किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर करना तथा शपथ पत्र पर उसकी परीक्षा;
(b)ख) किसी दस्तावेज की मांग और प्रस्तुत करने की अपेक्षा;
(c)ग) शपथ पत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना ; और
(d)घ) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाए ।)
३)इस धारा में किसी बात के होते हुए भी –
(a)क)केंद्रीय सरकार, किसी वर्ग के मोटर यानों को इस अध्याय के उपबंधों से छुट दे सकेगी ;
(b)ख) कोई राज्य सरकार, किसी मोटर यान या किसी वर्ग या वर्णन के मोटर यानों को उपधारा (१) के अधीन बनाए गए नियमों से ऐसी शर्तो के अधीन रहते हुए छुट दे सकेगी जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं ।
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१.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ३२ द्वारा प्रतिस्थापित ।
२. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ३९ द्वारा संघटकों के मानक शब्दों के पश्चात् अंत:स्थापित ।
३. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ३९ द्वारा विशिष्ट परिस्थितियों में शब्दों के पश्चात् अंत:स्थापित ।
४. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ३९ द्वारा उपधारा (२) के पश्चात् अंत:स्थापित ।

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