JJ act 2015 धारा ९७ : किसी संस्था से बालक को निर्मुक्त करना ।

किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ९७ :
किसी संस्था से बालक को निर्मुक्त करना ।
१) जब किसी बालक को किसी बाल गृह या विशेष गृह में रखा जाता है, तो यथास्थिति, किसी परिवीक्षा अधिकारी या सामाजिक कार्यकर्ता या सरकार या स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन की रिपोर्ट पर समिति या बोर्ड ऐसे बालक को या तो आत्यंतिक रुप से या ऐसी शर्तों पर, जो वह अधिरोपित करना ठीक समझे, बालक को माता-पिता या संरक्षक के साथ रहने या आदेश में नामित ऐसे किसी प्राधिकृत व्यक्ति के पर्यवेक्षणाधीन रहने की अनुज्ञा देते हुए, जो उसे प्राप्त करने और भारसाधन में लेने का, बालक को शिक्षित बनाने और किसी उपयोगी व्यापार या आजीविका के लिए प्रशिक्षित करने या पुनर्वास के लिए उसकी देखरेख करने के लिए उसे लेने और भारसाधन में लेने का इच्छुक हो, निर्मुक्त करने पर विचार कर सकेगी :
परन्तु यदि कोई बालक जिसे इस धारा के अधीन सशर्त निर्मुक्त किया गया है या वह व्यक्ति, जिसके पर्यवेक्षण के अधीन बालक को रखा गया है, ऐसी शर्तों को पूरा करने में असफल रहता है तो बोर्ड या समिति, यदि आवश्यक हो तो बालक को भारसाधन में ले सकेगी और बालक को संबंधित गृह में वापस रख सकेगी ।
२) यदि बालक को अस्थायी आधार पर निर्मुक्त किया गया है तो वह समय, जिसके दौरान बालक उपधारा (१) के अधीन प्रदत्त अनुज्ञा के अनुसरण में संबंधित गृह में उपस्थिति नहीं है, उस समय का भाग माना जाएगा, जिसके लिए बालक, बाल गृह या विशेष गृह में रखे जाने का भागी है :
परंतु विधि का उल्लंघन करने वाला बालक उपधारा (१) में यथावर्णित बोर्ड द्वारा अधिकथित शर्तों को पूरा करने में असफल रहता है तो उस समय का, जिसके लिए वह संस्था में रखे जाने का अभी भी भागी है, बोर्ड द्वारा, ऐसी असफलता के कारण समाप्त हुए समय के बराबर समय तक विस्तार किया जाएगा ।

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