किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ११० :
नियम बनाने की शक्ति ।
१) राज्य सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी :
परन्तु केन्द्रीय सरकार ऐसे सभी या किन्हीं विषयों की बाबत माडल नियम विरचित कर सकेगी, जिनके संबंध में राज्य सरकार द्वारा नियम बनाया जाना अपेक्षित है और जहां ऐसे माडल नियम किसी ऐसे विषय के संबंध में विरचित किए गए हैं, वे आवश्यक उपांतरणों सहित राज्य को तब तक लागू होंगे जब तक उस विषय के संबंध में राज्य सरकार द्वारा नियम नहीं बना लिए जाते है और जब ऐसे नियम बनाए जाएं तो वे ऐसे माडल नियमों के अनुरुप होंगे ।
२) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी विषयों या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात् :-
एक) धारा २ की उपधारा (१४) के खंड (सात) के अधीन गुमशुदा या भागा हुआ बालक जिसके माता-पिता का पता नहीं लगाया जा सकता है की दशा में जांच की रीति;
दो) धारा २ की उपधारा (१८) के अधीन किसी बालगृह से सहबद्ध बाल कल्याण अधिकारी के दायित्व;
तीन) धारा ४ की उपधारा (२) के अधीन बोर्ड के सदस्यों की अर्हताएं;
चार) धारा ४ की उपधारा (६) के अधीन बोर्ड के सभी सदस्यों का समावेश प्रशिक्षण और संवेदीकरण;
पांच) धारा ४ की उपधारा (६) के अधीन बोर्ड के सदस्यों की पदावधि और वह रीति जिसमें ऐसा सदस्य पद त्याग सकेगा ;
छह) धारा ७ की उपधारा (१) के अधीन बोर्ड के अधिवेशनों का समय और उसकी बैठकों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में प्रक्रिया के नियम;
सात) धारा ८ की उपधारा (३) के खंड (घ) के अधीन किसी दुभाषिए या अनुवादक की अर्हताएं, अनुभव और फीस का संदाय;
आठ) धारा ८ की उपधारा (३) के खंड (ढ) के अधीन बोर्ड का कोई अन्य कृत्य;
नौ) वे व्यक्ति जिनके माध्यम से धारा १० की उपधारा (२) के अधीन कथित विधि का उल्लंघन करने वाले बालक को बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकेगा और वे रीति जिसमें ऐसे बालक को किसी अन्वेषण गृह या सुरक्षित स्थान में भेजा जा सकेगा;
दस) धारा १२ की उपधारा (२) के अधीन पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किए गए किसी ऐसे व्यक्ति के, जिसे उसके द्वारा जमानत पर छोडा नहीं गया है, संबंध में ऐसी रीति, जिसमें उस व्यक्ति को तब तक संप्रेक्षण गृह में रखा जाएगा जब तक कि उसे बोर्ड के समक्ष पेश न किया जाए;
ग्यारह) धारा १६ की उपधारा (३) के अधीन त्रैमासिक आधार पर बोर्ड द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट को लंबन की सूचना देने का रुप विधान;
बारह) धारा २० की उपधारा (२) के अधीन मानीटरी प्रक्रियाएं और मानीटरी प्राधिकारियों की सूची;
तेरह) धारा २४ की उपधारा (२) के अधीन वह रीति जिसमें बोर्ड, पुलिस या न्यायालय द्वारा बालक के सुसंगत अभिलेखों को नष्ट किया जा सकेगा;
चौदह) धारा २७ की उपधारा (५) के अधीन बाल कल्याण समिति के सदस्यों की अर्हताएं;
१.(चौदह-क) धारा २७ की उपधारा (८) के अधीन जिला मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का प्ररुप;)
पंदरह) धारा २८ की उपधारा (१) के अधीन बाल कल्याण समिति की बैठकों में कारबार का संव्यवहार करने के संबंध में नियम और प्रक्रियांएं;
सोलह) धारा ३० के खंड (भ) के अधीन परित्यक्त या खोए हुए बालकों को उनके कुटुंबों को प्रत्यावर्तित करने की प्रक्रिया;
सतरह) धारा ३१ की उपधारा (२) के अधीन समिति को रिपोर्ट प्रस्तुत करने की रीति और बालक को बालगृह या आश्रयगृह या उचित सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति को भेजने और सौपनें की रीति;
अठारह) धारा ३६ की उपधारा (१) के अधीन बाल कल्याण समिति द्वारा जांच करने की रीति;
उन्नीस) धारा ३६ की उपधारा (३) के अधीन यदि बालक छह वर्ष से कम आयु का है तो बालक को विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण, बालगृह या उपयुक्त सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति या पोषण कुटुंब में तब तक भेजने की रीति जब तक बालक के समुचित पुनर्वास के लिए उचित साधन नहीं मिल जाते है जिसके अंतर्गत वह रीति भी है जिसमें बालगृह में या उपयुक्त सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति या पोषण कुटुंब में रखे गए बालक की स्थिति का समिति द्वारा पुनर्विलोकन किया जा सकेगा;
बीस) वह रीति जिसमें धारा ३६ की उपधारा (४) के अधीन समिति द्वारा जिला मजिस्ट्रेट को मामलों के लंबन के पुनर्विलोकन की त्रैमासिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकेगी;
इक्कीस) धारा ३७ की उपधारा (२) के खंड (तीन) के अधीन समिति के अन्य कृत्यों से संबंधित कोई अन्य आदेश;
बाईस) धारा ३८ की उपधारा (५) के अधीन समिति द्वारा राज्य अभिकरण और प्राधिकरण को विधिक रुप से दत्तक ग्रहण करने के लिए मुक्त घोषित बालकों की संख्या और लंबित मामलों की संख्या के संबंध में प्रत्येक मास दी जाने वाली सूचना;
१.(बाईस-क) धारा ४० की उपधारा (४) के अधीन प्रत्यावर्तन, मृत्यु और भाग जाने के संबंध में तिमाही रिपोर्ट का प्ररुप;)
तेईस) धारा ४१ की उपधारा (१) के अधीन वह रीति जिसमें इस अधिनियम के अधीन सभी संस्थाओं को रजिस्ट्रीकृत किया जाएगा;
चौबीस) कोई संस्था जो धारा ४१ की उपधारा (७) के अधीन ऐसी संस्था जो पुनर्वास और पुन: एकीकरण सेवाएं प्रदान करने में असफल रहती है के रजिस्ट्रीकरण को रद्द करने या विधारित करने की प्रक्रिया;
पच्चीस) धारा ४३ की उपधारा (३) के अधीन वह रीति जिसमें खुले आश्रय द्वारा जिला बाल संरक्षण एकक और समिति को प्रतिमास सूचना भेजी जाएगी;
छब्बीस) धारा ४४ की उपधारा (१) के अधीन बालकों को पोषण देखरेख, जिसके अंतर्गत समूह पोषण देखरेख भी है, में रखने की प्रक्रिया;
सत्ताईस) धारा ४४ की उपधारा (४) के अधीन पोषण देखरेख में बालकों के निरीक्षण की प्रक्रिया;
अठ्ठाईस) धारा ४४ की उपधारा (६) के अधीन वह रीति जिसमें पोषण कुटुंब द्वारा बालक को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण प्रदान किया जाएगा;
उन्तीस) धारा ४४ की उपधारा (७) के अधीन वह प्रक्रिया आर मानदण्ड जिसमें बालकों को पोषण देखरेख सेवाएं प्रदान की जाएंगी;
तीस) धारा ४५ की उपधारा (८) के अधीन बालकों की भलाई का पता लगाने के लिए समिति द्वारा पोषण कुटुंबों के निरीक्षण का रुप विधान;
इकत्तीस) धारा ४५ की उपधारा (१) के अधीन बालकों की प्रवर्तकता के विभिन्न कार्यक्रमों जैसे व्यष्टि से व्यष्टि प्रवर्तकता, समूह प्रवर्तकता या सामुदायिक प्रवर्तकता का जिम्म लेने का प्रयोजन;
बत्तीस) धारा ४५ की उपधारा (३) के अधीन प्रवर्तकता की अवधि;
तेंतीस) धारा ४७ के अधीन अठारह वर्ष की आयु पूरा करने वाले, संस्था की देखरेख छोडने वाले किसी बालक को वित्तीय सहायता प्रदान करने की रीति;
चौंतीस) धारा ४७ की उपधारा (३) के अधीन संप्रेक्षण गृहों का प्रबंध और मानीटरी जिसके अंतर्गत विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित किसी बालक के पुनर्वास और समाज में पुन: मिलाए जाने के लिए मानक और उनके द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न सेवाएं और वे परिस्थितियों भी है जिनके अधीन आर वह रीति जिसमें किसी संप्रेक्षण गृह को रजिस्ट्रीकरण प्रदान किया जा सकेगा या प्रतिसंह्रत किया जा सकेगा ;
पैंतीस) धारा ४८ की उपधारा (२) और उपधारा (३) के अधीन विशेष गृहों का प्रबंधन और मानीटरी जिसके अंतर्गत मानक और उनके द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न प्रकार की सेवाएं भी है;
छत्तीस) धारा ५० की उपधारा (३) के अधीन बालगृहों की मानीटरी और प्रबंधन जिसके अंतर्गत मानक और उनके द्वारा प्रत्येक बालक के लिए व्यष्टिक देखरेख योजनाओं पर आधारित उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं की प्रकृति है;
सैंतीस) धारा ५१ की उपधारा (१) के अधीन वह रीति जिसमें बोर्ड या समिति, तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत किसी सरकारी संगठन या स्वैच्छिक या गैर सरकारी संगठन द्वारा चलाए जा रहे किसी सुविधा तंत्र को, बालक की देखरेख के लिए सुविधातंत्र और संगठन की उपयुक्तता के संबंध में सम्यक् जांच के पश्चात् किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए बालक का अस्थायी रुप से लेने के लिए मान्यता;
अडतीस) बोर्ड या समिति द्वारा धारा ५२ की उपधारा (१) के अधीन किसी बालक की देखरेख, संरक्षण और उपचार के लिए ऐसे बालक को विनिर्दिष्ट अवधि के लिए अस्थायी रुप से प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति को योग्य के रुप में मान्यता प्रदान करने के लिए प्रत्यय पत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया;
उनतालीस) धारा ५३ की उपधारा (१) के अधीन वह रीति जिसमें इस अधिनियम के अधीन बालकों के पुनर्वास और पुन: मिलाने के लिए आधारभूत अपेक्षाओं जैसे खाद्य, आश्रय, वस्त्र और चिकित्सा की सुविधाएं किसी संस्था द्वारा उपलब्ध की जाएंगी;
चालीस) धारा ५३ की उपधारा (२) के अधीन वह रीति जिसमें संस्थान के प्रबंधन और प्रत्येक बालक की प्रगति की मानीटरी करने के लिए प्रत्येक संस्थान द्वारा प्रबंधन समिति स्थापित की जाएगी;
इसतालीस) धारा ५३ की उपधारा (३) के अधीन बाल समितियों द्वारा किए जा सकने वाले कार्यकलाप;
बयालीस) धारा ५४ की उपधारा (१) के अधीन राज्य और जिले के लिए रजिस्ट्रीकृत या उचित के रुप में मान्यता प्रदान की गई सभी संस्थाओं के लिए निरीक्षण समितियों की नियुक्ति;
तैंतालीस) धारा ५५ की उपधारा (१) के अधीन वह रीति जिसमें केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा बोर्ड, समिति, विशेष किशोर पुलिस एककों, रजिस्ट्रीकृत संस्थाओं या मान्यता प्राप्त उचित सुविधा तंत्रों और व्यक्तियों के कार्यकारण का स्वतंत्र रुप से मूल्यांकन कर सकेगी जिसके अंतर्गत अवधि और व्यक्ति या संस्थाओं के माध्यम से भी है ;
चवालीस) धारा ६६ की उपधारा (२) के अधीन वह रीति जिसमें संस्थाएं विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण को दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रुप से मुक्त घोषित किए गए बालकों के ब्यौरे प्रस्तुत करेंगी;
पैंतालीस) धारा ६८ के खंड (ङ) के अधीन प्राधिकरण के कोई अन्य कृत्य;
छियालीस) धारा ६९ की उपधारा (२) के अधीन प्राधिकरण की विषय निर्वाचन समिति के सदस्यों के चयन या नामनिर्देशन का मानदंड और उनकी पदावधि के साथ उनकी नियुक्ती के निबंधन और शर्तें;
सैंतालीस) धारा ६९ की उपधारा (४) के अधीन वह रीति जिसमें प्राधिकरण की विषय निर्वाचन समिति बैठक करेगी;
अडतालीस) धारा ७१ की उपधारा (१) के अधीन वह रीति जिसमें प्राधिकरण द्वारा केन्द्रीय सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी;
उनचास) धारा ७२ की उपधारा (२) के अधीन प्राधिकरण के कृत्य;
पचास) धारा ७३ की उपधारा (१) के अधीन वह रीति जिसमें प्राधिकरण, उचित लेखे और सुसंगत दस्तावेज रखेगा और लेखाओं का वार्षिक विवरण तैयार करेगा;
इक्यावन) धारा ९२ के अधीन वह अवधि जो समिति या बोर्ड द्वारा, बालकों के, जो एसे रोग से ग्रस्त है जिसके लिए लंबे चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है या जिन्हें शारीरिक या मानसिक रोग है, जिसका उपचार किसी उचित सुविधा तंत्र में होगा, के उपचार के लिए आवश्यक समझी जाए;
बावन) धारा ९५ की उपधारा (१) के अधीन किसी बालक को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया;
तिरपन) धारा ९५ की उपधारा (३) के अधीन बालक के अनुरक्षक कर्मचारिवृंद को यात्रा भत्ते का उपबंध;
चौवन) धारा १०३ की उपधारा (१) के अधीन समिति या किसी बोर्ड द्वारा कोई जांच, अपील या पुनरीक्षण करते समय अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया;
पचपन) धारा १०५ की उपधारा (३) के अधीन वह रीति जिसमें किशोर न्याय निधि को प्रशासित किया जाएगा;
छप्पन) धारा १०६ के अधीन राज्य बाल संरक्षण सोसाईटी और प्रत्येक जिले के लिए बाल संरक्षण एककों का कार्यकरण;
सत्तावन) धारा १०९ की उपधारा (१) के अधीन इस अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन को मानीटर करने के लिए, यथास्थिति, राष्ट्रीय आयोग या राज्य आयोग को समर्थ बनाना;
अट्ठावन) ऐसा कोई अन्य विषय, जिसे विहित करना अपेक्षित है या जो विहित किया जाए ।
३) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम और प्रत्येक विनियम, बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम या विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रुप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम या विनियम नही बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम या विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहली गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा ।
४) इस अधिनियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र राज्य विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा ।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २९ द्वारा अन्त:स्थापित ।