Site icon Ajinkya Innovations

IT Act 2000 धारा ८९ : नियंत्रक की विनियम बनाने की शक्ति :

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
धारा ८९ :
नियंत्रक की विनियम बनाने की शक्ति :
१)नियंत्रक, साइबर विनियमन सलाहकार समिति से परामर्श करने के पश्चात् औ केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिए इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों से संगत विनियम बना सकेगा ।
२)विशिष्टया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे विनियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात्:-
(a)क)धारा १८ के खंड १.(ढ) के अधीन प्रत्येक प्रमाणकर्ता प्राधिकारी के प्रकटन अभिलेख से युक्त डाटा संचय के अनुरक्षण से संबंधित विशिष्टियां ;
(b)ख) वे शर्ते और निर्बन्धन, जिनके अधीन रहते हुए नियंत्रक, धारा १९ की उपधारा (१) के अधीन किसी विदेशी प्रमाणकता प्राधिकारी को मान्यत प्रदान कर सकेगा ;
(c)ग) वे निबन्धन और शर्ते, जिनके अधीन रहते हुए धारा २१ की उपधारा (३) के खंड (ग) के अधीन कोई अनुज्ञप्ति अनुदत्त की जा सकेगी;
(d)घ) प्रमाणकर्ता प्राधिकारी द्वारा धारा ३०के खंड (घ) के अधीन पालन किए जाने वाले अन्य मानक ;
(e)ड) वह रीति जिसमें प्रमाणकर्ता प्राधिकारी, धारा ३४ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट विषय प्रकट करेगा ;
(f)च)विवरण की विशिष्टियां, जो धारा ३५ की उपधारा (३) के अधीन आवेदन के साथ संलग्न होंगी, और
(g)छ) वह रीति जिसमें उपयोगकर्ता, धारा ४२ की उपधारा (२) के अधीन प्रमाणकर्ता प्राधिकारी को प्राइवेट कुंजी गोपनीय न रह जाने की सूचना देगा ।
३)इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक विनियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हों, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों मेंं पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किंतु विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा ।
———
१. अधिसूचना एस. ओ. १०१५ (ई) द्वारा प्रतिस्थापित ।

Exit mobile version