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IT Act 2000 धारा ६६च : साइबर आतंकवाद के लिए दंड :

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
धारा ६६च :
साइबर आतंकवाद के लिए दंड :
१) जो कोई,-
(A)अ) भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या प्रभुता को खतरे में डालने या जनता के किसी वर्ग में
१)कंप्यूटर संसाधन तक पहुंच के लिए प्राधिकृत किसी व्यक्ति को पहुंचे से इंकार करके या इंकार कराके; या
२)प्राधिकार के बिना या प्राधिकृत पहुंच से अधिक किसी कंप्यूटर संसाधन में प्रवेश या उस तक पहुंच करने का प्रयास करके; या
३)किसी कंप्यूटर संदूषक को सन्निविष्ट करके या सन्निविष्ट कराके;
आतंक फैलाने के आशय से और ऐसा कार्य करता है जिससे व्यक्तियों की मृत्यु या उन्हें क्षति होती है या संपत्ति का नाशा या विनाश होता है या होने की संभावना है या यह जानते हुए कि इससे समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति या सेवाओं को नुकसान या उसका विनाश होने की संभावना है; या धारा ७०के अधीन विनिर्दिष्ट संवेदनशील सूचना अवसंरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पडने की संभावना है; या
(B)आ) जानबूझकर या साशय किसी कंप्यूटर संसाधन में प्राधिकार के बिना या प्राधिकृत पहुंच से अधिक प्रवेश या पहुंच करता है और ऐसे कार्य द्वारा ऐसी सूचना, डाटा या कंप्युटर डाटा आधारसामग्री तक, जो राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेशी संबंधों के कारण निर्बंधित है या कोई निर्बंधित सूचना, डाटा या कंप्युटर डाटा आधारसामग्री का उपयोग भारत की प्रभुता और अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, विदेशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, लोक व्यवस्था, शिष्टता या नैतिकता के हितों को या न्यायालय की अवमानना के संबंध मे, मानहानि या किसी अपराध के उठोरण के संबंध में किसी विदेशी राष्ट्र, व्यष्टि, समूह के फायदे को क्षति पहुंचाने के लिए या अन्यथा किसी जा सकता है या किए जाने की संभावना है,
तो वह साइबर आतंकवाद का अपराध करेगा ।
२)जो कोई साइबर आतंकवाद कारित या करने की कूटरचना करेगा, तो वह कारावास से जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।

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