IT Act 2000 धारा ४३ : कंप्यूटर,कंप्यूटर प्रणाली आदि को नुकसान के लिए २.(शास्ति और प्रतिकर) :

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
अध्याय ९ :
१.(शास्तियां, प्रतिकर और अधिनिर्णय) :
धारा ४३ :
कंप्यूटर,कंप्यूटर प्रणाली आदि को नुकसान के लिए २.(शास्ति और प्रतिकर) :
यदि कोई व्यक्ति, ऐसे स्वामी या किसी अन्य व्यक्ति की, जो किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क प्रणाली का भारसाधक है, अनुज्ञा के बिना, –
(a)क) ऐसे कंप्यूटर, कंप्यूटर नेटवर्क ३.( या कंप्यूटर संसाधन) प्रणाली में पहुंचता है या पहुंच प्राप्त करता है;
(b)ख) ऐसे कंप्यूटर,कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क से कोई डाटा, कंप्यूटर डाटा संचय या सूचना, जिसके अंतर्गत किसी स्थानांतरणीय भंडारण माध्यम में धृत या संचित कोई सूचना या डाटा भी हैं, डाउनलोड करता है, प्रतिलिपि करता है, या उसका उध्दरण लेता है;
(c)ग) किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क में किसी कंप्यूटर संदूषक या कंप्यूटर वाइरस का प्रवेश करता है, या प्रवेश करवाता है;
(d)घ) ऐसे कंप्यूटर,कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क में के किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क डाटा, कंप्यूटर डाटा संचय या किसी अन्य कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाता है या पहुंचवाता है;
(e)ड)किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क को विच्छिन्न करता है या करवाता है;
(f)च) किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क में पहुंच के लिए प्राधिकृत किसी व्यक्ति की किसी भी साधन से पहुंच से इंकार करता है या करवाता है;
(g)छ) इस अधिनियम, इसके अधीन बनाए गए नियमों या विनियमों के उल्लंघन में किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क में किसी व्यक्ति की पहुंच को सुकर बनाने के लिए कोई सहायता प्रदान करता है;
(h)ज) किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क में छेडछाड या छलसाधन करके, किसी व्यक्ति द्वारा उपभोग की गई सेवाओं के प्रभारों को किसी अन्य व्यक्ति के लेखे में डालता है, तो वह इस प्रकार प्रभावित व्यक्ति को प्रतिकर के रूप में ऐसी नुकसानी का जो एक करोड रूपए से अधिक नहीं होंगी, संदाय करने का दायी होगा।
(i)३.(झ) किसी कंप्यूटर संसाधन में विद्यमान किसी सूचना को नष्ट करता है, हृटाता है या उसमें परिवर्तन करता है या उसके महत्व या उपयोगिता को कम करता है या उसे किन्हीं साधनों द्वारा हादिकर रूप से प्रभावित करता है;
(j)ञ)किसी कंप्यूटर संसाधन के लिए प्रयुक्त किसी कंप्यूटर स्त्रोत कोड को नुकसान पंहुचाने के आशय से चुराता है, छिपाता है, नष्ट या परिवर्तित करता है या किसी व्यक्ति से उसकी चोरी कराता है या उसे छिपवाता, नष्ट या परिवर्तित कराता है,)
२.(तो वह इस प्रकार प्रभावित व्यक्ति को प्रतिकार के रूप में नुकसानी का संदाय करने का दायी होगा;)
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, –
१) कंप्यूटर संदूषक से कंप्यूटर अनुदेशों का कोई ऐसा सेट अभिप्रेत है, जो निम्नलिखित के लिए अभिकल्पित किया गया हो,-
(a)क) किसी कंप्यूटर,कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क में के डाटा या कार्यक्रम को उपांतरित, नष्ट, अभिलिखित या पारेषित करने ;या
(b)ख)कंप्यूटर,कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेयवर्क के सामान्य प्रवर्तन का किसी भी साधन से अनधिकार ग्रहण करने,
२)कंप्यूटर डाटा संचय से पाठ, प्रतिबिंब, श्रव्य, दृश्य में सूचना, जानकारी, तथ्य, संकल्पना और अनुदेशों का व्यपदेशन अभिप्रेत है, जो प्रारूपित रीति में तैयार किया जा रहा है या तैयार किया गया है अथवा कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क द्वारा उत्पादित किया गया है और जो कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क में उपयोग के लिए आशयित है;
३)कंप्यूटर वाइरस से ऐसा कोई कंप्यूटर अनुदेश, सूचना, डाटा या कार्यक्रम अभिप्रेत है जो किसी कंप्यूटर साधन के निष्पादन को नष्ट करता है, नुकसान पहुंचाता है, हृास करता है या प्रतिकूल प्रभाव डालता है अथवा स्वयं को किसी अन्य कंप्यूटर साधन से संलग्न कर लेता है और वह तब प्रवर्तित होता है जब कोई कार्यक्रम, डाटा या अनुदेश निष्पादित किया जाता है या उस कंप्यूटर साधन में कोई अन्य घटना घटती है;
४)नुकसान से किसी माध्यम द्वारा किसी कंप्यूटर साधन को नष्ट करना, परिवर्तित करना ,हटाना , जोडना, उपान्तरित या पुन:व्यवस्थित करना अभिप्रेत है;
३.(५) कंप्यूटर स्त्रोत कोड से कंप्यूटर संसाधन के कार्यक्रमों, कंप्यूटरों समादेशों, डिजाइन और रेखांक तथा कार्यक्रम विेश्लेषण को किसी रूप में सूचीबध्द करना अभिप्रेत है।)
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१. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा २० द्वारा प्रतिस्थापित ।
२. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा २१ द्वारा प्रतिस्थापित ।
३. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा २१ द्वारा अंत:स्थापित ।

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