सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
धारा १८ :
नियंत्रक के कृत्य :
नियंत्रक, निम्नलिखित सभी या किन्हीं कृत्यों का निष्पादन कर सकेगा, अर्थात्:-
(a)क) प्रमाणकर्ता प्राधिकारियों के क्रियाकलापों का पर्यवेक्षण करना;
(b)ख) प्रमाणकर्ता प्राधिकारियों की लोक कुंजियों को प्रमाणित करना;
(c)ग) प्रमाणकर्ता प्राधिकारियों द्वारा बनाए रखे जाने वाले मानक अधिकथित करना;
(d)घ) ऐसी अर्हताएं और अनुभव विनिर्दिष्ट करना जो प्रमाणकर्ता प्राधिकारी के कर्मचारियों के पास होनी चाहिए;
(e)ड) ऐसी शर्ते विनिर्दिष्ट करना जिनके अधीन प्रमाणकर्ता प्राधिकारी अपना कार्य करेगा;
(f)च) लिखित,मुद्रित या दृश्य सामग्री और विज्ञापनों की अन्तर्वस्तु विनिर्दिष्ट करना, जिसके १.( इलैक्ट्रानिक चिन्हक) प्रमाणपत्र और लोक कुंजी की बाबत वितरण या उपयोग किया जा सके;
(g)छ) किसी १.( इलैक्ट्रानिक चिन्हक) प्रमाणपत्र और कुंजी का रूप और अन्तर्वस्तु विनिर्दिष्ट करना;
(h)ज) वह प्ररूप और रीति विनिर्दिष्ट करना, जिसमें प्रमाणकर्ता प्राधिकारियों द्वारा लेखे रखे जाएंगे;
(i)झ) उन निबंधनों और रीति विनिर्दिष्ट करना, जिनके अधीन लेखा-परीक्षकों की नियुक्ति की जा सकेगी और उनको पारिश्रमिक संदत्त किया जा सकेगा;
(j)ञ) प्रमाणकर्ता प्राधिकारी द्वारा, अकेले या अन्य प्रमाणकर्ता प्राधिकारियों के साथ संयुक्त रूप से किसी इलैक्ट्रानिक प्रणाली के स्थापन और ऐसी प्रणाली के विनियमन को सुकर बनाना;
(k)ट) वह रीति विनिर्दिष्ट करना, जिसमें प्रमाणकर्ता प्राधिकारी उपयोगकर्ताओं के साथ व्यवहार करेंगे ;
(l)ठ) प्रमाणकर्ता प्राधिकारी और उनके उपयोगकर्ताओं के बीच हितों के किसी टकराव का समाधान करना;
(m)ड) प्रमाणकर्ता प्राधिकारियों के कर्तव्यों को अधिकथित करना;
(n)ढ) ऐसा डाटा संचय रखना, जिसमें प्रत्येक प्रमाणकर्ता प्राधिकारी का प्रकटन अभिलेख हो,जिसमें ऐसी विशिष्टियां अंतर्विष्ट हों, जो विनियमों द्वारा विनिर्दिष्ट की जाएं और जो जनता की पहुंचा में हों ।
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१. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा २ द्वारा प्रतिस्थापित ।