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Ipc धारा ४२५ : रिष्टि :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
रिष्टी के विषय में :
धारा ४२५ :
रिष्टि :
(See section 324 of BNS 2023)
जो कोई इस आशय से, या यह संभाव्य जानते हुए कि, वह लोक को या किसी व्यक्ती को सदोष हानि या नुकसान कारित करे, किसी संपत्ति का नाश या संपत्ति में या उसकी स्थिति में ऐसी तब्दीली कारित करता है, जिससे उसका मूल्य या उपयोगिता नष्ट या कम हो जाती है या उस पर क्षतिकारक प्रभाव पडता है, वह रिष्टी करता है यह कहा जाता है ।
स्पष्टीकरण १ :
रिष्टी के अपराध के लिए यह आवश्यक नहीं है कि अपरादी क्षतिग्रस्त या नष्ट संपत्ति के स्वामी को हानि, या नुकसान कारित करने का आशय रखे। यह पर्याप्त है कि उसका यह आशय है या यह वह संभाव्य जानता हो कि वह किसी संपत्ति को क्षति करके किसी व्यक्ती को, चाहे वह संपत्ति उस व्यक्ती की हो या नहीं, सदोष हानि या नुकसान कारित करे।
स्पष्टीकरण २ :
ऐसी संपत्ति पर प्रभाव डानले वाले कार्य द्वारा, जो उस कार्य को करने वाले व्यक्ती की हो, या संयुक्त रुप से उस व्यक्ती की और अन्य व्यक्तीयों की हो, रिष्टि की जा सकेगी ।
दृष्टांत :
क) (य) की सदोष हानि कारित करने के आशय से (य) की मूल्यवान प्रतिभूति को (क) स्वेच्छया जला देता है । (क) ने रिष्टि की है ।
ख) (य) की सदोष हानि करने के आशय से, उसके बर्फ-घर में (क) पानी छोड देता है, और इस प्रकार बर्फ को गला देता है । (क) ने रिष्टि की है ।
ग) (क) इस आशय से (य) की अंगूठी नदी में स्वेच्छया से फेंक देता है कि (य) को तद्द्वारा सदोष हानि कारित करे । (क) ने रिष्टि की है ।
घ) (क) यह जानते हुए कि उसकी चीज-बस्त उस ऋृण की तुष्टि के लिए जो (य) को उस द्वारा शोध्य है, निष्पादन में ली जाने वाली है, उस चीज-बस्त को इस आशय से नष्ट कर देता है कि ऐसा करके ऋृण की तुष्टि अभिप्राप्त करने में (य) को निवारित कर दे और इस प्रकार (य) को नुकसान कारित करे । (क) ने रिष्टि की है ।
ङ) (क) एक पोत का बीमा कराने के पश्चात् उसे इस आशय से कि बीमा करने वालों को नुकसान कारित करे, उसको स्वेच्छया संत्यक्त करा देता है । (क) ने रिष्टि की है ।
च) (य) को, जिसने बाटमरी पर धन उधार दिया है, नुकसान कारित करने के आशय से (क) उस पोत को संत्यक्त करा देता है । (क) ने रिष्टि की है ।
छ) (य) के साथ एक घोडे में संयुक्त संपत्ति रखते हुए (य) को सदोष हानि कारित करने के आशय से (क) उस घोडे को गोली मार देता है । (क) ने रिष्टि की है ।
ज) (क) इस आशय से और यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह (य) कि फसल को नुकसान कारित करे, (य) के खेत में ढोरों का प्रवेश कारित कर देता है (क) ने रिष्टि की है ।

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