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Ipc धारा ४२२ : ऋण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४२२ :
ऋण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना :
(See section 321 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : अपराधी का अपने को शोध्य ऋृण या मांग का लेनदारों के लिए उपलब्ध किया जाना कपटपूर्वक निवारित करना ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : उससे प्रभावित लेनदार ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी ऋण का या मांग का, जो स्वयं उसको या किसी अन्य व्यक्ती को शोध्य हो, अपने या ऐसे अन्य व्यक्ती के ऋणों को चुकाने के लिए विधि के अनुसारा उपलब्ध होना कपटपूर्वक या बेइमानी से निवारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

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