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Ipc धारा ४१८ : इस ज्ञान के साथ छल करना कि उस व्यक्ती को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४१८ :
इस ज्ञान के साथ छल करना कि उस व्यक्ती को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध है :
(See section 318(3) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : उस व्यक्ति से छल करना जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी या तो विधि द्वारा या वैध संविदा द्वारा आबद्ध था ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति, जिससे छल किया गया है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई इस ज्ञान के साथ छल करेगा कि यह संभाव्य है कि वह तद्द्वारा उस व्यक्ती को सदोष हानि पहुंचाए, जिसका हित उस संव्यवहार में जिससे छल संबंधित है, संरक्षित रखने के लिए वह या तो विधि द्वारा, या वैध संविदा द्वारा आबद्ध (बंधा हुआ) था, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

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