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Ipc धारा ४०३ : सम्पत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग (गबन/अपयोजन) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
सम्पत्ति के आपराधिक दुर्विनियोग(गबन/अपयोजन) के विषय में :
धारा ४०३ :
सम्पत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग (गबन/अपयोजन) :
(See section 314 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : जंगम संपत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग या उसे अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित कर लेना ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : दुर्विनियोजित संपत्ति का स्वामी ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई बेइमानी से किसी जंगम संपत्ति का दुर्विनियोग (गबन/अपयोजन) करेगा या उसको अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित कर लेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत :
क) (क), (य) की सम्पत्ति को उस समय जब कि (क) उस सम्पत्ति को लेता है, यह विश्वास रखते हुए कि वह सम्पत्ति उसी की है, (य) के कब्जे में से सद्भावपूर्वक लेता है । (क) चोरी का दोषी नहीं है । किन्तु यदि (क) अपनी भूल मालूम होने के पश्चात् उस सम्पत्ति का बेईमानी से अपने लिए विनियोग कर लेता है, तो वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
ख) (क) जो (य) का मित्र है, (य) की अनुपस्थिति में (य) के पुस्तकालय में जाता है और (य) की अभिव्यक्त सम्मति के बिना एक पुस्तक ले जाता है । यहां यदि, (क) का यह विचार था कि पढने के प्रयोजन के लिए पुस्तक लेने की उसको (य) की विवक्षित सम्मति प्राप्त है, तो (क) ने चोरी नहीं की है । किन्तु यदि (क) बाद में उस पुस्तक को अपने फायदे के लिए बेच देता है, तो वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
ग) (क) और (ख) एक घोडे के संयुक्त स्वामी है । (क) उस घोडे को उपयोग में लाने के आशय से (ख) के कब्जे में से उसे ले जाता है । यहां (क) को उस घोडे को उपयोग में लाने का अधिकार है, इसलिए वह उसका बेइमानी से दुर्विनियोग नहीं है । किन्तु यदि (क) उस घोडे को बेच देता है, और सम्पूर्ण आगम का अपने लिए विनियोग कर लेता है तो वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
स्पष्टीकरण १ :
केवल कुछ समय के लिए बेईमानी से दुर्विनियोग (गबन/अपयोजन) करना इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत दुर्विनियोग है ।
दृष्टांत :
(क) को (य) का एक सरकारी वचनपत्र मिलता है, जिस पर निरंक पृष्ठांकन है । (क) यह जानते हुए कि वह वचनपत्र (य) का है, उसे ऋृण के लिए प्रतिभूति के रुप में बैंकार के पास इस आशय से गिरवी रख देता है कि वह भविष्ट में उसे (य) को प्रत्यावर्तित कर देगा । (क) ने इस धारा के अधीन अपराधध किया है ।
स्पष्टीकरण २ :
जिस व्यक्ती को ऐसी संपत्ति पडी मिल जाती है, जो किसी अन्य व्यक्ती के कब्जे में नहीं है और वह उसके स्वामी के लिए उसको संरक्षित रखने या उसके स्वामी को उसे प्रत्यावर्तित करने के प्रयोजन से ऐसी संपत्ति को लेता है, वह न तो बेईमानी से उसे लेता है और न बेईमानी से उसका दुर्विनियोग (गबन) करता है, और किसी अपराध का दोषी नहीं है, किन्तु वह उपर परिभाषित अपराध का दोषी है, यदि वह उसके स्वामी को जानते हुए या खोज निकालने का साधन रखते हुए अथवा उसके स्वामी को खोज निकालने और सुचना देने के युक्तियुक्त साधन उपयोग में लाने और उसके स्वामी को उसकी मांग करने को समर्थ करने के लिए उस संपत्ति को युक्तीयुकत समय तक रखे रखने के पूर्व उसको अपने लिए विनियोजित कर लेता है ।
ऐसी दशा में युक्तियुक्त साधन क्या है, या युक्तीयुक्त समय क्या है, यह तथ्य का प्रश्न है ।
यह आवश्यक नहीं है कि पाने वाला यह जानता है कि संपत्ति का स्वामी कौन है या यह कि कोई विशिष्ट व्यक्ती उसका स्वामी है । यह पर्याप्त है कि उसको विनियोजित करते समय उसे यह विश्वास नहीं है कि वह उसकी अपनी संपत्ति है, या सद्भावपूर्वक यह विश्वास है कि उसका असली स्वामी नहीं मिल सकता ।
दृष्टांत :
क) (क) को राजमार्ग पर एक रुपया पडा मिलता है । यह न जानते हुए कि वह रुपया किसका है (क) उस रुपए को उठा लेता है । यहां (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध नहीं किया है ।
ख) (क) को सडक पर एक चिट्ठी पडी मिलती है, जिसमें एक बैंक नोट है । उस चिट्ठी में दिए हुए निदेश और विषय वस्तु से उसे यह ज्ञात हो जाता है कि वह नोट किसका है । वह उस नोट का विनियोग कर लेता है । यह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
ग) वाहक-देय एक चेक (क) को पडा मिलता है । वह उस व्यक्ति के संबंध में जिसका चेक खोया है, कोई अनुमान नहीं लगा सकता, किन्तु उस चेक पर उस व्यक्ति का नाम लिखा है, जिसने वह चेक लिखा है । (क) यह जानता है कि वह व्यक्ति (क) को उस व्यक्ति का पता बता सकता है जिसके पक्ष में वह चेक लिखा गया था, (क) उसके स्वामी को खोजने का प्रयत्न किए बिना उस चेक का विनियोग कर लेता है । वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
घ) (क) देखता है कि (य) की थैली, जिसमें धन है, (य) से गिर गई है । (क) वह थैली (य) को प्रत्यावर्तित करने के आशय से उठा लेता है । किन्तु तत्पश्चात् उसे अपने उपयोग के लिए विनियोजित कर लेता है । (क) ने इस धारा के अधीन अपराध किया है ।
ङ) (क) को एक थैली, जिसमें धन है, पडी मिलती है । वह नहीं जानता है कि वह किसकी है । उसके पश्चात् उसे यह पता चल जाता है कि वह (य) की है, और वह उसे अपने उपयोग के लिए विनियुक्त कर लेता है । (क) इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
च) (क) को एक मूल्यवान अंगूठी पडी मिलती है । वह नहीं जानता है कि वह किसी है । (क) उसके स्वामी को खोज निकालने का प्रयत्न किए बिना उसे तुरन्त बेच देता है । (क) इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।

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