भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३७६ घ :
१.(सामुहिक बलात्संग :
(See section 70 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सामुहिक बलात्संग.
दण्ड :कम से कम बीस वर्ष का कठोर कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा जिससे उस व्यक्ती के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा,और जुर्माना, जिसका संदाय पीडिता को किया जाएगा ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
——-
जहां किसी स्त्री से, एक या अधिक व्यक्तीयों द्वारा, एक समूह गठित करके या सामान्य आशय को अग्रसर करने में कार्य करते हुए बलात्संग किया जाता है, वह उन व्यक्तीयों में से प्रत्येक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने बलात्संग का अपराध किया है और वह ऐसी कठोर कारावास से, दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिससे उस व्यक्ती के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा :
परंतु ऐसा जुर्माना पीडिता के चिकित्सीय खर्चो को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा ;
परंतु यह और कि इस धारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीडिता को संदत्त किया जाएगा ।
——–
१. २०१३ के अधिनियम सं० १३ की धारा ९ द्वारा धारा ३७५, धारा ३७६, धारा ३७६क, धारा ३७६ख, धारा ३७६ग और धारा ३७६ घ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
