भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३७६ ग :
प्राधिकार में किसी व्यक्ती द्वारा मैथुन :
(See section 68 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन ।
दण्ड :कम से कम पाँच वर्ष के लिए कठोर कारावास, किन्तु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई,-
क) प्राधिकार की किसी स्थिति या वैश्वासिक संबंध रखते हुए; या
ख) कोई लोक सेवक होते हुए; या
ग) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी जेल, प्रतिप्रषण गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान का या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था का अधीक्षक या प्रबंधक होते हुए; या
घ) अस्पताल के प्रबंधतंत्र या किसी अस्पताल का कर्मचारिवृंद होतो हुए, ऐसी किसी स्त्री को, जो उसकी अभिरक्षा में है या उसके भारसाधन के अधीन है या परिसर में उपस्थित है, अपने साथ मैथुन करते हुए, जो बलात्संग का अपराध की कोटि में नहीं आता है, उत्प्रेरित या विलुब्ध करने के लिए ऐसी स्थिति या वैश्वासिक संबंध का दुरुपयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण १ :
इस धारा में मैथुन से धारा ३७५ के खण्ड (क) से खण्ड (घ) में वर्णित कोई कृत्य अभिप्रेत होगा ।
स्पष्टीकरण २ :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, धारा ३७५ का स्पष्टीकरण १ भी लागू होगा ।
स्पष्टीकरण ३ :
किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था के संबंध में, अधीक्षक के अन्तर्गत कोई ऐसा व्यक्ती है, जो जेल, प्रतिप्रेषण गृह, स्थान या संस्था में एसो कोई पद धारण करता है जिसके आधार पर वह उसके निवासियों पर किसी प्राधिकार या नियंत्रण का प्रयोग कर सकता है ।
स्पष्टीकरण ४ :
अस्पताल और स्त्रियों या बालकों की संस्था पयों का क्रमश: वही अर्थ होगा जो धारा ३७६ की उपधारा (२) के स्पष्टीकरण में उनका है ।
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१. २०१३ के अधिनियम सं० १३ की धारा ९ द्वारा धारा ३७५, धारा ३७६, धारा ३७६क, धारा ३७६ख, धारा ३७६ग और धारा ३७६घ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
