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Ipc धारा ३४५ : ऐसे व्यक्ती का सदोष परिरोध जिसके छोडने के लिए रिट ( आदेश,लेख, हुक्मनामा) निक चुका है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३४५ :
ऐसे व्यक्ती का सदोष परिरोध जिसके छोडने के लिए रिट ( आदेश,लेख, हुक्मनामा) निक चुका है :
(See section 127(5) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति को यह जानते हुए सदोष परिरोध में रखना कि उसको छोडने के लिए रिट निकल चुका है ।
दण्ड :किसी अन्य धारा के अधीन कारावास से अतिरिक्त दो वर्ष के लिए कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई यह जानते हुए किसी व्यक्ती को सदोष परिरोध में रखेगा कि उस व्यक्ती को छोडने के लिए रिट (आदेश, लेख ,हुक्मनामा) सम्यक् रुप से निकल चुका है वह किसी अवधि के उस कारावास के अतिरिक्त , जिससे कि वह इस अध्याय के किसी अन्य धारा के अधीन दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी ।

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