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Ipc धारा ३४२ : सदोष परिरोध के लिए दण्ड :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३४२ :
सदोष परिरोध के लिए दण्ड :
(See section 127(2) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध करना ।
दण्ड :एक वर्ष के लिए कारावास, या एक हजार रुपए जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जो अवरुद्ध या परिरुद्ध किया गया है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोइ किसी व्यक्ती का सदोष परिराध करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।

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