Site icon Ajinkya Innovations

Ipc धारा ३२९ : सम्पत्ति उद्यापित (ऐठना, छिनना) करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३२९ :
सम्पत्ति उद्यापित (ऐठना, छिनना) करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना :
(See section 119 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्यापित करने के लिए अथवा कोई बात, जो अवैध है या जिससे अपराध का किया जाना सुकर होतो हो, करने के लिए मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना ।
दण्ड : आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
——-
जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ती से, या उससे हितबद्द किसी व्यक्ती से, कोई संपत्ति या मुल्यवान प्रतिभूति उद्यापित की जाए, या उपहत व्यक्ती को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ती को कोई ऐसी बात या कार्य, जो ऐसी अवैध हो, या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो, करने के लिए मजबूर किया जाए, वह १.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
——-
१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

Exit mobile version