भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३१० :
ठग :
जो कोई इस अधिनियम के पारित होने के पश्चात् किसी समय हत्या द्वारा या हत्या सहित लूट या शिशुओं की चोरी करने के प्रयोजन के लिए अन्य व्यक्ती या अन्यव्यक्तियों से अभ्यासत: सहयुक्त रहता है, वह ठग है ।
भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३१० :
ठग :
जो कोई इस अधिनियम के पारित होने के पश्चात् किसी समय हत्या द्वारा या हत्या सहित लूट या शिशुओं की चोरी करने के प्रयोजन के लिए अन्य व्यक्ती या अन्यव्यक्तियों से अभ्यासत: सहयुक्त रहता है, वह ठग है ।