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Ipc धारा २९३ : १.(तरुण व्यक्ती को अश्लील वस्तुओं का विक्रय आदि :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २९३ :
१.(तरुण व्यक्ती को अश्लील वस्तुओं का विक्रय आदि :
(See section 295 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : तरुण व्यक्तियों को अश्लील वस्तुओं का विक्रय आदि ।
दण्ड :प्रथम दोषसिद्धी पर तीन वर्ष के लिए कारावास और दो हजार रुपए का जुर्माना, और द्वितीय या पश्चातवर्ती दोषसिद्धी पर सात वर्ष के लिए कारावास और पाँच हजार रुपए का जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई बीस वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ती को कोई ऐसी अश्लील वस्तु, जो अंतिम पूर्वगामी धारा में निर्दिष्ट (वर्णित) है, बेचेगा, भाडे पर देगा, वितरण करेगा, प्रदर्शित करेगा या परिचालित करेगा या ऐसा करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करेगा, २.(प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और दो हजार रुपये तक के जुर्माने से दण्डनीय होगा, तथा द्वितिय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धी की दशा में दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी, जो पाँच हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा ।))
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१. १९२५ के अधिनियम सं० ८ की धारा २ द्वारा मूल धारा के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९६९ के अधिनियम सं० ३६ की धारा २ द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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