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Ipc धारा २३९ : सिक्के का परिदान जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २३९ :
सिक्के का परिदान जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था :
(See section 179 and 180 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी कृटकृत सिक्के को, जिसको ऐसा होना वह तब जानता था जब वह उसके कब्जे में आया, रखना और किसी व्यक्ति को उसका परिदान आदि करना ।
दण्ड :पाच वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई अपने पास कोई ऐसा कूटकृत सिक्का होते हुए जिसे वह उस समय, जब वह उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है, कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, उसे किसी व्यक्ती को परिदत्त करेगा या किसी व्यक्ती को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

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