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Ipc धारा २३७ : कूटकृत (जाली) सिक्के का आयात या निर्यात :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २३७ :
कूटकृत (जाली) सिक्के का आयात या निर्यात :
(See section 179 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कूटकृत सिक्के का यह जानते हुए कि वह कूटकृत है, आया या निर्यात ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी कूटकृत (जाली) सिक्के का यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटकृत है, १.(भारत) में आयात करेगा या १.(भारत) से निर्यात करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
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१. ब्रिटिश भारत शब्द अनुक्रमश: भारतीय स्वतंत्रता (केन्द्रीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८, विधि अनुकूलन आदेश १९५० और १९५१ के अधिनियम सं० ३ को धारा ३ और अनुसूची द्वारा प्रतिस्थापित किए गए है ।

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